रांची

झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को संथाल परगना मंडल के छह जिलों के उपायुक्तों (डीसी) को बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले पर सख्त चेतावनी जारी की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर किसी भी जिले में घुसपैठ का एक भी मामला पाया गया, तो संबंधित डीसी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।

यह चेतावनी तब आई जब हाईकोर्ट ने सैयद दानियाल दानिश द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की, जिसमें झारखंड में बांग्लादेशी नागरिकों की कथित घुसपैठ पर चिंता जताई गई थी।

सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने संथाल परगना के छह जिलों—गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज और पाकुड़—के डीसी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों पर आश्चर्य व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने अपने जिलों में किसी भी घुसपैठ की घटना से इनकार किया था।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो केंद्र सरकार की ओर से वर्चुअली पेश हुए, ने कोर्ट के सामने यह तर्क दिया कि संथाल परगना में जनजातीय आबादी में गिरावट का एक बड़ा कारण बांग्लादेशी घुसपैठ है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सुरक्षा एजेंसियों, खुफिया ब्यूरो (आईबी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ मिलकर जांचा जा रहा है।

सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से अनुरोध किया कि आईबी को इस मामले में प्रतिवादी के रूप में शामिल न किया जाए, क्योंकि कुछ संवेदनशील मामलों में गोपनीयता बनाए रखना आवश्यक है। हालांकि, उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार की रिपोर्ट में आईबी से प्राप्त प्रासंगिक जानकारी शामिल की जाएगी।

कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल की दलील को मानते हुए मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 सितंबर तय की है। साथ ही कोर्ट ने घुसपैठ के मुद्दे की गंभीरता पर जोर देते हुए कहा कि अगर इसे रोका नहीं गया, तो झारखंड अन्य राज्यों के लिए घुसपैठ का मुख्य द्वार बन सकता है, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजीव रंजन और केंद्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल कुमार ने अपने-अपने पक्ष रखे।

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