दिल्ली के एम्स में ली अंतिम सांस, वामपंथी राजनीति में शोक की लहर

नई दिल्ली

वामपंथी राजनीति के वरिष्ठ और कद्दावर नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने के कारण 10 सितंबर को एम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। निमोनिया की शिकायत के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उनका निधन हो गया।

सीताराम येचुरी, जो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य थे, देश की वामपंथी राजनीति का एक बड़ा चेहरा माने जाते थे। उनके निधन से पार्टी और उनके समर्थकों में गहरा शोक व्याप्त है। वामपंथी नेताओं ने इसे पार्टी के लिए एक बड़ी क्षति बताया है।

सीताराम येचुरी का जन्म 1952 में चेन्नई में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक इंजीनियर थे और मां भी सरकारी अधिकारी के रूप में कार्यरत थीं। उन्होंने अपनी शिक्षा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से पूरी की, जहां वे छात्र राजनीति में सक्रिय हुए। तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके येचुरी 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बने। इसके बाद से वे पार्टी के लिए कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाते हुए वामपंथी राजनीति के अग्रणी नेताओं में शामिल हो गए।

सीपीआई (एम) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि “सीताराम येचुरी का निधन वामपंथी आंदोलन के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वे जीवन भर समाजवादी विचारधारा और श्रमिक वर्ग के हितों के लिए संघर्ष करते रहे।”

देश भर के राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्षी नेताओं ने भी येचुरी के निधन को भारतीय राजनीति में एक युग का अंत बताया है।

उनके निधन के बाद वामपंथी समर्थकों के साथ-साथ उनके प्रशंसक भी दुखी हैं और दिल्ली में अंतिम संस्कार की तैयारियां की जा रही हैं। सीताराम येचुरी की सरलता, विनम्रता और संघर्षशील व्यक्तित्व ने उन्हें राजनीतिक दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई थी, जो हमेशा याद रखी जाएगी।

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