प्रयागराज

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को महाकुंभ 2025 का लोगो लॉन्च कर दिया, जो विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक होने जा रहा है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने महाकुंभ की तैयारियों का निरीक्षण किया, साधु-संतों से मुलाकात की और धार्मिक अनुष्ठान भी संपन्न किए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें प्रयागराज में संतों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने महाकुंभ को सनातन धर्म का शाश्वत प्रतीक बताते हुए इसे एक दिव्य और भव्य अवसर के रूप में वर्णित किया। उन्होंने इस आयोजन को सभी के लिए मंगलकारी होने की शुभकामनाएं दीं।

तैयारियों में तेजी
महाकुंभ 2025, जो 14 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा, की तैयारियां जोरों पर हैं। इस आयोजन में करोड़ों श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने की योजना बनाई जा रही है। महाकुंभ का मुख्य आकर्षण तीन प्रमुख स्नान के दिन होंगे, जिन्हें “शाही स्नान” कहा जाता है। ये शाही स्नान 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या), और 3 फरवरी (बसंत पंचमी) को होंगे।

यात्रियों के लिए सुविधाओं में सुधार
उप्र सरकार ने प्रयागराज जाने वाले मार्गों पर स्थित ढाबों, होटलों और रेस्तरां की सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सब्सिडी की घोषणा की है, ताकि श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सुगम यात्रा का अनुभव मिल सके। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से चर्चा कर व्यवस्थाओं की तैयारियों पर जोर दिया और संतोषजनक व्यवस्था सुनिश्चित करने पर बल दिया।

धार्मिक नेताओं की चिंताएं
जुना अखाड़े के महंत हरि गिरि ने महाकुंभ में गैर-सनातनी धार्मिक समूहों की भागीदारी पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि केवल वे लोग, जो सनातन धर्म के प्रति समर्पित हैं और मेले की पवित्रता बनाए रखने में योगदान देना चाहते हैं, उन्हें ही इसमें शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने पिछले वर्षों में गैर-धार्मिक समूहों की उपस्थिति से उत्पन्न समस्याओं की ओर इशारा किया और सुरक्षा व पवित्रता बनाए रखने की अपील की।

महंत हरि गिरि ने कहा कि सभी उपस्थित लोगों की पहचान आधार कार्ड के माध्यम से की जाएगी, ताकि सुनिश्चित हो सके कि केवल वही लोग शामिल हों, जो महाकुंभ के परंपराओं और पवित्रता के प्रति समर्पित हैं। इसके अलावा, उन्होंने मेले के आस-पास के क्षेत्रों में मांस और शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की, जिससे धार्मिक स्थल की पवित्रता बनी रहे।

नाम बदलने की हो रही चर्चा
महंत हरि गिरि ने महाकुंभ के नाम पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि ‘महाकुंभ’ शब्द का मूल संस्कृत से है, लेकिन इसमें फ़ारसी प्रभाव भी है। इसलिए, नाम को उसके सांस्कृतिक मूल के अनुसार बदलने पर विचार किया जा रहा है। इस पर चर्चा के लिए दो दिवसीय बैठक प्रस्तावित है और नाम बदलने के संबंध में जल्द ही सरकारी आदेश भी जारी हो सकता है।

प्रयागराज की अद्वितीयता
प्रयागराज, जिसे तीर्थराज भी कहा जाता है, महाकुंभ 2025 के लिए तैयार हो रहा है। गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम पर स्थित यह शहर धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। महाकुंभ मेला भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है और करोड़ों श्रद्धालु यहां मोक्ष की तलाश में आते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार और धार्मिक संस्थाओं के समन्वय से हो रहे प्रयासों से महाकुंभ 2025 को एक ऐतिहासिक आयोजन बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।

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