नई दिल्ली

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने 6 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक भारत के ऐतिहासिक पांच दिवसीय राज्य दौरे की शुरुआत की। यह दौरा भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आधिकारिक निमंत्रण पर हो रहा है। राष्ट्रपति पद संभालने के बाद यह मुइज्जु की पहली द्विपक्षीय यात्रा है, जिससे भारत और मालदीव के बीच संबंधों को और सुदृढ़ करने की संभावना है।

इस दौरे के दौरान राष्ट्रपति मुइज्जु भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित प्रमुख नेताओं से उच्चस्तरीय चर्चा करेंगे। इन बैठकों में व्यापार, पर्यटन और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर द्विपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने के उपायों पर विचार किया जाएगा।

मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने इस दौरे को मालदीव के विकास के लिए महत्वपूर्ण देशों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। राष्ट्रपति मुइज्जु के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है, जो मुंबई और बेंगलुरु में व्यापारिक गतिविधियों में भाग लेगा। इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति मुइज्जु ने नवंबर 2023 में पद संभालने से पहले चुनावी अभियान में ‘इंडिया आउट’ के नारे के तहत मालदीव से भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी का समर्थन किया था। इस बदलाव से भारत और मालदीव के बीच संबंधों में कुछ जटिलताएं आईं, लेकिन इस दौरे को दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और सहयोग बढ़ाने के एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है।

भारत ने मालदीव के विकास में हमेशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और कई परियोजनाओं में निवेश किया है, जिससे मालदीव के लोगों को काफी लाभ हुआ है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हालिया मालदीव यात्रा भी भारत-मालदीव संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी। इस दौरे के दौरान रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मालदीव को भारत की “पड़ोस पहले” नीति के तहत प्राथमिकता दी गई थी।

राष्ट्रपति मुइज्जु के इस दौरे से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है, जिससे भारत और मालदीव के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को नया आयाम मिलेगा।

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