भागलपुर

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की बहुचर्चित ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ का आगाज आज भागलपुर से होने जा रहा है। इस यात्रा के पहले चरण में वे सीमांचल के मुस्लिम बहुल जिलों – कटिहार, अररिया, पूर्णिया और किशनगंज का दौरा करेंगे। गुरुवार शाम को ही गिरिराज सिंह भागलपुर पहुंच चुके हैं और उन्होंने सभी हिंदुओं से, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल या संगठन से जुड़े हों, इस यात्रा में शामिल होने की अपील की है। उनका कहना है कि यह यात्रा हिंदुओं को एकजुट करने का प्रयास है, और वे इसे जारी रखेंगे, जब तक उनके शरीर में खून है।

सीमांचल में सियासी पारा चढ़ा
गिरिराज सिंह की इस यात्रा ने सीमांचल क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने इस यात्रा पर तीखी आपत्ति जताई है। जेडीयू के नेताओं का कहना है कि इससे सीमांचल का सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है। वहीं, निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने गिरिराज सिंह को चेतावनी दी है कि अगर किसी ने कोसी और सीमांचल की शांति भंग करने की कोशिश की, तो उन्हें अपनी लाश के ऊपर से गुजरना होगा।

बीजेपी ने साधा किनारा
गिरिराज सिंह की इस यात्रा से उनकी पार्टी बीजेपी ने भी दूरी बना ली है। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने स्पष्ट किया कि यह यात्रा गिरिराज सिंह की निजी पहल है और इससे पार्टी का कोई संबंध नहीं है। हालांकि, पार्टी के किसी भी नेता या कार्यकर्ता को यात्रा में शामिल होने से रोका नहीं जाएगा। सहयोगी जेडीयू के कई नेताओं ने भी इस यात्रा का विरोध करते हुए कहा है कि इससे इलाके में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है।

गिरिराज सिंह का दावा
गिरिराज सिंह ने अपनी यात्रा को लेकर कहा कि यह किसी पार्टी की यात्रा नहीं है, बल्कि यह एक हिंदू के रूप में उनकी पहल है। उन्होंने कहा कि बिहार और देश में जनसंख्या संतुलन बदल रहा है। उन्होंने दावा किया कि 1951 के बाद से भागलपुर, कटिहार और पूर्णिया जैसे जिलों में हिंदुओं की संख्या घटती जा रही है। उनका कहना है कि देशभर में 1600 से ज्यादा स्थानों पर एक विशेष समुदाय की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है, और यह यात्रा हिंदुओं को जागरूक और एकजुट करने का एक प्रयास है।

इस यात्रा के चलते सीमांचल का सियासी तापमान और बढ़ने की संभावना है, जहां विभिन्न दलों और नेताओं के बीच तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। अब यह देखना होगा कि गिरिराज सिंह की इस यात्रा का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव क्या रहता है।

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