फ्रांस के किसान अपनी समस्याओं को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। यूरोपीय संघ (ईयू) और दक्षिण अमेरिकी देशों के मार्कोसुर व्यापार ब्लॉक के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते का विरोध करते हुए किसानों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किए। यह समझौता, जिसमें अर्जेंटीना, ब्राजील, पराग्वे और उरुग्वे जैसे देश शामिल हैं, वर्ष के अंत तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।
फ्रांस के सबसे बड़े किसान संघ नेशनल फेडरेशन ऑफ एग्रीकल्चरल होल्डर्स यूनियन (FNSEA) ने देशभर में 85 प्रदर्शनों का आयोजन किया। इन प्रदर्शनों का उद्देश्य किसानों की समस्याओं को जनता और सरकार के सामने रखना था। प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़कों को बाधित करने से बचते हुए सार्वजनिक जीवन पर न्यूनतम प्रभाव डालने का प्रयास किया।
कृषि पर समझौते का नकारात्मक प्रभाव
यह व्यापार समझौता 2019 में प्रारंभिक रूप से तय हुआ था, लेकिन फ्रांस के किसान इसे अपने लिए बड़ा खतरा मानते हैं। उनका कहना है कि यह समझौता यूरोपीय किसानों के लिए अनुचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा और स्थानीय कृषि को कमजोर करेगा।
FNSEA के अध्यक्ष अर्नो रूसो ने इसे “किसानों के लिए हानिकारक” करार दिया। उन्होंने यूरोप के सभी किसानों से इस समझौते के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया।
सरकार का भी विरोध
फ्रांस की विदेश व्यापार मंत्री सोफी प्रिमास ने भी इस समझौते पर अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने इसे यूरोपीय सार्वजनिक नीतियों की “असंगति” का प्रतीक बताया।
किसानों का पुराना संघर्ष
यह पहली बार नहीं है जब फ्रांस के किसानों ने अपनी आवाज बुलंद की है। इस साल की शुरुआत में, किसानों ने बड़े शहरों में प्रदर्शन कर अपने कम आय, नौकरशाही बाधाओं और “अनुचित प्रतिस्पर्धा” के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी।
फ्रांस के किसानों का यह विरोध प्रदर्शन यह स्पष्ट करता है कि कृषि समुदाय मौजूदा नीतियों और अंतरराष्ट्रीय समझौतों से नाखुश है। किसानों का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो यह प्रदर्शन और तेज हो सकते हैं।