स्थानीय विरासत को मिला अंतरराष्ट्रीय पहचान का दर्जा

 

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के सात विशिष्ट उत्पादों को पहली बार भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग का दर्जा प्राप्त हुआ है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि की घोषणा बुधवार को की गई। जीआई टैग प्राप्त करने वाले उत्पादों में होड़ी (आउटरीगर कैनो), निकोबारी मैट (चतराई-हिलेउओई), निकोबारी हट (चानवी पाती – नई हुपुल), पदौक वुड क्राफ्ट, अंडमान-निकोबार नारियल, निकोबारी तावी-इ-नैच (वर्जिन कोकोनट ऑयल), और अंडमान करें मूसले राइस शामिल हैं।

संस्कृति और परंपरा का सम्मान
इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की अहम भूमिका रही। नाबार्ड की अंडमान-निकोबार इकाई की महाप्रबंधक अर्चना सिंह ने इसे द्वीप समूह की सांस्कृतिक धरोहर और जनजातीय समुदायों की परंपराओं को संरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम बताया।

अर्चना सिंह ने कहा, “यह उपलब्धि निकोबारी और करेन जनजातियों की समृद्ध विरासत को न केवल सम्मान देती है, बल्कि इन उत्पादों को बौद्धिक संपदा संरक्षण प्रदान करती है। यह कदम इन समुदायों के भविष्य को सशक्त बनाने में मदद करेगा।”

स्थानीय संस्थाओं का योगदान
इस उपलब्धि में स्थानीय संगठनों जैसे ट्राइबल्स डेवलपमेंट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारा वूमन मार्केटिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, ट्राइबल डेवलपमेंट काउंसिल और सेंटर फॉर पार्टिसिपेटरी ट्रेनिंग एंड लर्निंग ने प्रमुख भूमिका निभाई। पूरी प्रक्रिया का समन्वय ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन ने किया, जिसे पद्मश्री राजनी कांत के मार्गदर्शन में संचालित किया गया।

प्रशासन का समर्थन
नाबार्ड ने इस उपलब्धि के लिए अंडमान-निकोबार प्रशासन और लेफ्टिनेंट गवर्नर एडमिरल डी. के. जोशी (सेवानिवृत्त) का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस प्रयास को सफल बनाने में हरसंभव सहयोग दिया।

महत्वपूर्ण पहल
यह जीआई टैग न केवल इन उत्पादों की मौलिकता को संरक्षित करेगा, बल्कि इनके वैश्विक बाजार में पहचान बनाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। इससे स्थानीय कारीगरों और जनजातीय समुदायों को आर्थिक लाभ मिलने की संभावना है।

 

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