कर्तव्य पथ पर बफ्टा,
गणतंत्र दिवस 2025 के अवसर पर आयोजित होने वाली ग्रैंड परेड में बिहार के मुंगेर जिले के 26 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। यह सभी कलाकार बफ्टा (बिहार फिल्म एंड टेलीविजन आर्टिस्ट एसोसिएशन ट्रस्ट) के सदस्य हैं। इनका चयन राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित चयन प्रक्रिया के माध्यम से हुआ है।
बफ्टा के संस्थापक और अध्यक्ष हीरो राजन कुमार इस झांकी का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय झांकी का हिस्सा बनने का यह मौका कलाकारों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। राजन कुमार पिछले दस वर्षों से गणतंत्र दिवस परेड में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं और इस बार उनके अनुभव का लाभ मुंगेर के कलाकारों को भी मिला है।
राजन कुमार ने कहा, “यह हमारे लिए गौरव का क्षण है। कलाकारों ने पिछले कई महीनों से कड़ी मेहनत की है और अब उनके सपने को नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर साकार होते देखना प्रेरणादायक होगा।”
महिलाओं की बड़ी भागीदारी
इस टीम में शामिल 26 कलाकारों में अधिकांश महिलाएं हैं, जो झांकी का मुख्य आकर्षण बनेंगी। उनका उत्साह देखने लायक है। उन्होंने बताया कि इस परेड में हिस्सा लेना उनके लिए एक सपना सच होने जैसा है। झांकी में बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत किया जाएगा।
कर्तव्य पथ पर बिहार की पहचान
राष्ट्रीय स्तर पर झांकी प्रदर्शन के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से प्रस्ताव मांगे थे। इनमें से 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियों का चयन किया गया। झांकी की थीम और प्रस्तुति पर विशेष ध्यान दिया गया है। बफ्टा, मुंगेर के कलाकारों ने कई चरणों की प्रक्रिया पार कर इस मौके को हासिल किया है।
19 जनवरी तक तैयारी होगी पूरी
गणतंत्र दिवस पर झांकी को पेश करने से पहले 19 जनवरी तक इसकी तैयारी पूरी कर ली जाएगी। 23 जनवरी को कलाकारों का अंतिम रिहर्सल होगा। परेड में भाग लेने वाले कलाकारों के परिधान और प्रस्तुति की योजना पहले ही तय कर दी गई है।
कलाकारों और परिवारों में उत्साह
मुंगेर के इन कलाकारों के चयन से उनके परिवार और स्थानीय लोग गर्व महसूस कर रहे हैं। यह पहली बार है जब बफ्टा के इतने कलाकार एक साथ कर्तव्य पथ पर बिहार का प्रतिनिधित्व करेंगे।
हीरो राजन कुमार ने बताया, “हमारी टीम ने इस मौके के लिए बहुत मेहनत की है। हमें विश्वास है कि गणतंत्र दिवस की परेड में हमारी झांकी बिहार की संस्कृति और प्रतिभा को बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत करेगी।”
मुंगेर के कलाकारों की यह भागीदारी न केवल उनकी कला को एक नई पहचान देगी, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक विरासत को भी राष्ट्रीय मंच पर उजागर करेगी।