फिल्म समीक्षा
जबरदस्त स्टाइल, किलर एक्शन और एक अनोखे अंदाज में पेश की गई कहानी—राइफल क्लब इन तीनों चीजों का बेहतरीन मिश्रण है। यह फिल्म न सिर्फ अपने टारनटीनो-स्टाइल ट्रीटमेंट से दर्शकों को बांधकर रखती है, बल्कि मनोरंजन की एक नई परिभाषा भी गढ़ती है।
कहानी साधारण लेकिन पेशकश गजब
फिल्म की कहानी बहुत अधिक जटिल नहीं है, बल्कि यह एक सीधा-सादा प्लॉट है जिसे बेहद स्टाइलिश तरीके से दिखाया गया है। अक्सर फिल्मों में हिंसा को किसी गहरे कारण या दुखद बैकस्टोरी से जोड़ा जाता है, लेकिन राइफल क्लब इस ट्रेंड को तोड़ती है। यहां किरदार खुद इस हिंसा का आनंद लेते नजर आते हैं, और यही बात इसे बाकी एक्शन फिल्मों से अलग बनाती है।
अनुराग कश्यप का चौंकाने वाला अवतार
फिल्म में अनुराग कश्यप की मौजूदगी शुरू में छोटी भूमिका जैसी लग सकती थी, लेकिन उन्होंने अपने किरदार को जिस क्लासी अंदाज में निभाया है, वह वाकई सरप्राइजिंग है। महाराजा में उनकी परफॉर्मेंस के बाद भले ही उन्हें सराहा गया हो, लेकिन घूमकेतु जैसी फिल्म में उनकी एक्टिंग से काफी दर्शक निराश हुए थे। मगर राइफल क्लब में उन्होंने अपने शानदार स्क्रीन प्रेजेंस और प्रभावशाली डायलॉग डिलीवरी से सबको चौंका दिया है।
हर किरदार का असरदार स्क्रीन प्रेजेंस
मलयालम सिनेमा की एक बड़ी खासियत यह है कि चाहे फिल्म में कितने भी किरदार हों, हर एक को स्क्रीन पर पर्याप्त समय मिलता है और वे अपनी छाप छोड़ जाते हैं। यहां तक कि दो मिनट के रोल में भी कलाकार अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराते हैं। यही खूबी राइफल क्लब को और खास बनाती है।
स्टाइलिश एक्शन और दमदार डायलॉग्स
फिल्म के एक्शन दृश्यों की बात करें तो ये बेहद शानदार ढंग से कोरियोग्राफ किए गए हैं। सिनेमेटोग्राफी, निर्देशन और बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म को क्लासी टच देते हैं। वहीं, डायलॉग्स भी खास आकर्षण हैं। “तुम कब से इस दिन के सपने देख रहे थे” जैसे संवाद और “कबूतर जा जा जा” जैसे हल्के-फुल्के पंचलाइन दर्शकों को काफी पसंद आ रहे हैं।
क्या यह फिल्म देखने लायक है?
अगर आप स्टाइलिश एक्शन, कूल किरदार और मलयालम सिनेमा के अनोखे ट्रीटमेंट का मजा लेना चाहते हैं, तो राइफल क्लब आपके लिए परफेक्ट चॉइस हो सकती है। फिल्म न सिर्फ एंटरटेनिंग है, बल्कि अपने हर फ्रेम में एक अलग तरह की अपील रखती है।
रेटिंग: 3.5/5