बोले – ‘बिहार सरकार ने जनता को गुमराह किया’
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बिहार सरकार के जातीय सर्वे को जनता को गुमराह करने वाला कदम बताया। उन्होंने पटना में आयोजित ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ में कहा कि सही मायनों में जातिगत जनगणना पूरे देश में होनी चाहिए, जिससे यह पता चले कि ओबीसी, दलित और मजदूर वर्ग को देश के संसाधनों में कितनी भागीदारी मिल रही है।
राहुल गांधी ने नीतीश सरकार के जातीय सर्वे को सतही करार देते हुए कहा, “यह महज एक दिखावा था, जिससे जनता को भ्रमित किया गया। असली जातिगत जनगणना में यह देखा जाना चाहिए कि विभिन्न वर्गों को प्रशासन, नौकरशाही और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कितना प्रतिनिधित्व मिल रहा है।”
‘पिंजरे में कैद हैं बीजेपी के ओबीसी सांसद’
राहुल गांधी ने बीजेपी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी के ओबीसी, दलित और आदिवासी सांसद खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया, “बीजेपी के पिछड़ा, दलित और आदिवासी समुदाय से आने वाले सांसद मुझसे कहते हैं कि उन्हें ‘पिंजरे में कैद’ कर दिया गया है। वे दिखावे के लिए तो हैं, लेकिन असली ताकत उनसे छीन ली गई है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और उसके सहयोगी दल सत्ता और संपत्ति को चंद उद्योगपतियों के हाथों में सौंप रहे हैं। “आज देश की ताकत चंद उद्योगपतियों – अडानी और अंबानी के हाथों में चली गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) हर संस्था पर नियंत्रण कर रहा है और जनता की ताकत को छीना जा रहा है,” राहुल गांधी ने कहा।
‘संविधान को नकार रहे हैं मोहन भागवत’
राहुल गांधी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन भारत की ‘सच्ची आजादी’ का प्रतीक है। राहुल गांधी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अगर मोहन भागवत यह कह रहे हैं कि 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था, तो इसका मतलब है कि वे संविधान को नकार रहे हैं। यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान का अपमान है।”
राहुल गांधी के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने जहां उनके समर्थन में बयान दिए हैं, वहीं बीजेपी ने इसे जनता को गुमराह करने वाली राजनीति करार दिया है।