सरकारी बंगले से बेदखल हुए पूर्व MLC सुनील सिंह, प्रशासन पर लगाए सियासी प्रतिशोध के आरोप
पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर सत्ता और विपक्ष के बीच तकरार तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पूर्व विधान पार्षद सुनील सिंह को उनके सरकारी आवास से बेदखल कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने सरकार पर राजनीतिक द्वेष का आरोप लगाया है। गर्दनीबाग स्थित मंत्री आवास संख्या 4/20 को प्रशासन ने पुलिस बल की मौजूदगी में रविवार को खाली करवाया।
बिना सूचना अचानक कार्रवाई का आरोप
पूर्व MLC सुनील सिंह ने इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा, “जब बंगला खाली कराया गया, उस समय मैं और मेरा परिवार वहां मौजूद नहीं थे। बिना किसी पूर्व सूचना के, मेरे निजी सामान को घर के बाहर रख दिया गया। प्रशासन ने इस पूरी प्रक्रिया को जबरन और अनुचित तरीके से अंजाम दिया है।”
‘सत्ता पक्ष के लोग अवैध रूप से बंगलों में जमे’
सुनील सिंह ने सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता में बैठे कई लोग वर्षों से सरकारी बंगलों पर अवैध रूप से काबिज हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने कहा, “मैंने विधान परिषद में सत्ता पक्ष की नीतियों पर सवाल उठाए थे, इसलिए मेरे खिलाफ प्रतिशोध की भावना से यह कदम उठाया गया।”
‘मरम्मत में महीनों लगते थे, बेदखली में कुछ घंटे भी नहीं’
बंगले की मरम्मत को लेकर प्रशासन की नीति पर सवाल उठाते हुए सुनील सिंह ने कहा, “अगर कोई छोटी सी मरम्मत करवानी होती थी तो महीनों लग जाते थे, लेकिन बंगला खाली कराने के लिए प्रशासन ने कुछ घंटे भी नहीं लगाए। यह स्पष्ट रूप से राजनीति से प्रेरित फैसला है।”
प्रशासन ने दी सफाई, कहा—नियम के तहत हुई कार्रवाई
वहीं, जिला प्रशासन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सुनील सिंह अब विधान परिषद के सदस्य नहीं हैं, इसलिए नियमानुसार उन्हें बंगला खाली करना अनिवार्य था। अधिकारियों ने बयान जारी कर कहा, “यह सरकार के निर्देशों के अनुरूप की गई नियमित प्रक्रिया है। इसमें किसी भी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं है।”
सरकारी बंगलों पर पहले भी होता रहा विवाद
बिहार में सरकारी आवासों को लेकर विवाद कोई नया नहीं है। इससे पहले भी कई मौकों पर विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई करने के आरोप लगाए हैं। अब देखना होगा कि इस प्रकरण पर सरकार की ओर से क्या सफाई दी जाती है और विपक्ष इसे कितना बड़ा मुद्दा बनाता है।