लोकनाट्य संगीत कार्यशाला संपन्न, संगीत को बताया रंगमंच की आत्मा

पटना, । नाट्य संस्था रंगम पटना द्वारा आयोजित पांच दिवसीय “फोक थिएटर म्यूजिक कार्यशाला” सफलतापूर्वक संपन्न हो गई। 1 मार्च से शुरू हुई इस कार्यशाला में शहर के दर्जनों रंगकर्मियों ने भाग लिया और नाटकों में संगीत की महत्ता को समझा।

कार्यशाला के अंतिम दिन संगीत गुरु विशाल जी ने कहा कि नाटकों में सुर, लय और ताल का विशेष महत्व है। बिना संगीत नाटक अधूरा रह जाता है। उन्होंने कहा कि संगीत केवल सहयोगी तत्त्व नहीं, बल्कि नाटकों की आत्मा है, जो प्रस्तुति को प्रभावशाली और दर्शकों के लिए भावनात्मक रूप से जुड़ावपूर्ण बनाता है।

विशाल जी ने ‘नाट्यशास्त्र’ का उल्लेख करते हुए बताया कि नाटक एक समवेत कला है, जिसमें सभी कलाओं का समावेश होता है। उन्होंने कहा कि भरत मुनि के नाट्यशास्त्र में नाटकों में संगीत की भूमिका को विस्तार से समझाया गया है। प्राचीन काल से लेकर आज तक नाट्य-संगीत ने रंगमंच को अधिक प्रभावी और लोकप्रिय बनाया है।

इस कार्यशाला में शहर के कई युवा कलाकारों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख रूप से साहिल राज, राहुल यादव, मधु मिश्रा, अंजली तबाही, सरिता चौधरी, स्नेहा राज, पूजा राज, मोनू यादव, सूर्या, जितेंद्र कुमार, सोनू शर्मा, बिट्टू ठाकुर, सुमन सौरभ, अंकित, सुबोध सागर, गौरव सिंह आदि शामिल रहे।

कार्यशाला के समापन पर रंगम के सचिव एवं नाट्य निर्देशक रास राज ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी इस तरह की कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँगी, जिससे नए कलाकारों को सीखने और रंगमंच की बारीकियों को समझने का अवसर मिलता रहेगा।

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