राष्ट्रीय संगोष्ठी 2025: मीडिया, समाज और संस्कृति पर विशेषज्ञों ने रखे विचार

सेंट जेवियर्स कॉलेज, पटना में हुआ आयोजन, विद्वानों और शोधकर्ताओं ने साझा किए अपने विचार

पटना। सेंट जेवियर्स कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, पटना के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग ने पटना विमेंस कॉलेज के सहयोग से “मीडिया, समाज और संस्कृति: वैश्वीकृत दुनिया में जन विमर्श का स्वरूप” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी 2025 का आयोजन किया। इस संगोष्ठी में देश-विदेश के प्रतिष्ठित विद्वानों, शिक्षाविदों और मीडिया विशेषज्ञों ने भाग लिया और आधुनिक मीडिया परिदृश्य पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

विशिष्ट वक्ताओं ने रखे प्रभावशाली विचार

संगोष्ठी में कई विद्वानों ने अपने विचार साझा किए, जिनमें प्रमुख थे:

  • प्रो. डॉ. बिप्लब लोह चटर्जी (विश्व भारती विश्वविद्यालय)
  • डॉ. सेराजुल भुईयां (सहायक प्रोफेसर, सवाना स्टेट यूनिवर्सिटी, अमेरिका)
  • श्री नवीन कुमार (सहायक प्रोफेसर, एमिटी यूनिवर्सिटी, पटना)

इन प्रमुख वक्ताओं ने मीडिया की बदलती भूमिका, समाज पर इसके प्रभाव और डिजिटल युग में मीडिया की चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे मीडिया जनमत निर्माण, सांस्कृतिक प्रभाव और वैश्विक मुद्दों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

तकनीकी सत्रों में शोधकर्ताओं ने रखे पत्र

संगोष्ठी के दौरान ‘डे नोबिली हॉल’ और ‘लेक्चर हॉल 45’ में दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जहां शोधकर्ताओं ने विभिन्न विषयों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इन विषयों में शामिल थे—

  • वैश्विक परिदृश्य में मीडिया की भूमिका
  • सोशल मीडिया की नीतियां और उनका प्रभाव
  • डिजिटल मीडिया और युवाओं पर इसका प्रभाव
  • बॉलीवुड फिल्मों का विमर्श विश्लेषण
  • हाशिए पर मौजूद समुदायों की मीडिया में प्रस्तुति

मीडिया साक्षरता और भविष्य पर चर्चा

संगोष्ठी में मीडिया नैतिकता, डिजिटल कम्युनिकेशन, फिल्म अध्ययन और पत्रकारिता जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श किया गया। इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि पत्रकारिता में तकनीक की भूमिका कैसे बढ़ रही है और मीडिया शिक्षा को नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता क्यों है।

कार्यक्रम के समापन सत्र में मीडिया साक्षरता की जरूरत, डिजिटल मीडिया के विस्तार और समाज पर इसके प्रभाव पर चर्चा हुई।

आयोजन समिति ने जताया आभार

संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए आयोजन समिति ने सभी वक्ताओं, शोधकर्ताओं और प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया। उन्होंने इस कार्यक्रम को विचारों के आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण मंच बताया, जिसने मीडिया और समाज के संबंधों को समझने के नए दृष्टिकोण प्रदान किए।

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