सरकार की नीतियों को बताया मुस्लिम विरोधी, चुनावी समीकरणों पर पड़ सकता है असर

पटना। बिहार की प्रमुख मुस्लिम संस्था इमारत शरिया ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इफ्तार कार्यक्रम का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। संस्था ने वक्फ विधेयक पर सरकार के रुख को मुस्लिम विरोधी बताते हुए इफ्तार में शामिल होने से इनकार कर दिया है। इमारत शरिया का प्रभाव बिहार, झारखंड और ओडिशा में व्यापक रूप से माना जाता है।

संस्था ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इफ्तार में शामिल न होने की जानकारी दी। पत्र में इमारत शरिया ने आरोप लगाया कि वक्फ विधेयक मुस्लिम समुदाय को और अधिक आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा बना देगा। संस्था ने नीतीश कुमार पर धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यक हितैषी नीतियों से भटकने का आरोप लगाया।

‘सिर्फ दिखावे का इफ्तार’
इमारत शरिया ने इफ्तार को महज दिखावा करार देते हुए कहा कि सरकार की मुस्लिम विरोधी नीतियों के चलते ऐसे आयोजनों का कोई महत्व नहीं रह जाता। संस्था ने कहा कि वक्फ से जुड़े मुद्दों पर सरकार का रवैया उदासीन है, जिससे मुस्लिम समुदाय में भारी असंतोष है।

चुनावी समीकरणों पर पड़ेगा असर
इस घटनाक्रम को आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से अहम माना जा रहा है। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू अब भाजपा के साथ गठबंधन में है, जिससे मुस्लिम समुदाय पहले ही नाराज़ है। इमारत शरिया के बहिष्कार से जदयू के मुस्लिम मतदाताओं में और नाराजगी बढ़ सकती है, जिसका असर चुनावी गणित पर पड़ सकता है।

मुख्यमंत्री या जदयू की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन इमारत शरिया का यह रुख राज्य की सियासत में नई हलचल जरूर पैदा कर सकता है।

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