मानव मन की गहराइयों को फिल्मी पर्दे पर उकेरने वाले महान निर्देशक का निधन

प्रख्यात जापानी फिल्म निर्देशक मासाहिरो शिनोदा का निधन हो गया। वह सिनेमा जगत में अपनी अनूठी दृष्टि और गहरी संवेदनाओं को प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते थे। शिनोदा ने अपनी फिल्मों के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं की उन परतों को उकेरा, जिन्हें आम जीवन में शायद ही कभी महसूस किया जा सकता है। उनके निधन से विश्व सिनेमा को अपूरणीय क्षति हुई है।

शिनोदा मानते थे कि फिल्में केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि वे हमारे भीतर दबी भावनाओं को जागृत करने का जरिया भी हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था, “फिल्में हमें भावनात्मक रूप से शिक्षित करती हैं। हम उनके माध्यम से जीवन में न देखे गए अंधकार और गहराई को महसूस कर पाते हैं।”

उनकी दृष्टि में सिनेमा केवल अच्छाई का प्रचार करने का माध्यम नहीं था, बल्कि यह बुराई और मानवीय कमजोरियों को समझने का भी जरिया था। वह मानते थे कि युद्ध, हिंसा और घृणा को समझने के लिए उन्हें पर्दे पर दिखाना जरूरी है। शिनोदा ने कहा था, “जीवन में हमारा कर्तव्य है कि हम अच्छे नागरिक बनें, लेकिन फिल्मों में मैं बुराई के चरम को तलाशता हूं।”

परमाणु बम पर मानवता का दृष्टिकोण
शिनोदा का मानना था कि हिरोशिमा और नागासाकी की त्रासदी केवल अमेरिकी आक्रमण नहीं थी, बल्कि वह मानवता के भीतर की बुराई का परिणाम थी। उन्होंने कहा था, “जापानी लोग इसे अमेरिकियों की बमबारी नहीं मानते, बल्कि इसे मानव जाति के भीतर की शक्ति का दुष्प्रयोग मानते हैं।”

उनकी फिल्मों में इसी मानवीय जटिलता की झलक मिलती थी। मासाहिरो शिनोदा की कृतियों ने सिनेमा को नए आयाम दिए और मानवीय संवेदनाओं को नई भाषा प्रदान की। उनके निधन से विश्व सिनेमा में एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनकी कृतियां सदियों तक दर्शकों को झकझोरती रहेंगी।

 

रिपोर्ट: निहाल देव दत्ता

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