वक्फ बोर्डों में सुधार आवश्यक

संशोधन विधेयक सही दिशा में कदम : राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान

पटना में कार्यक्रम के दौरान बोले राज्यपाल – वक्फ संपत्तियों का उद्देश्य गरीबों की सेवा है, न कि कानूनी लड़ाई

पटना। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए इसे सुधारने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि हाल ही में संसद से पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक इस दिशा में एक ठोस और जरूरी पहल है, जिससे वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा।

पटना में एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में राज्यपाल ने कहा कि राजधानी में कई वक्फ बोर्ड हैं, लेकिन इनमें से कोई भी अनाथालय या अस्पताल जैसी जनसेवा की गतिविधियों में सक्रिय नहीं है। उन्होंने कहा, “वक्फ बोर्डों की कार्यशैली में व्यापक सुधार की जरूरत है। यह संशोधन विधेयक इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए लाया गया है।”

राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्तियों को ‘अल्लाह के नाम पर समर्पित’ माना जाता है, लेकिन उनका वर्तमान उपयोग इस भावना के विपरीत है। उन्होंने कहा कि अधिकांश वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने और कानूनी विवादों में उलझने का काम चल रहा है। “बोर्ड के सदस्यों के रिश्तेदार ही इन संपत्तियों से लाभ उठा रहे हैं, जो इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्डों के कई पदाधिकारी गरीबों और बेसहारा लोगों की भलाई से ज्यादा संपत्ति बचाने और व्यक्तिगत लाभ में जुटे हुए हैं। राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश में अपने वक्फ मंत्री कार्यकाल की याद दिलाते हुए कहा कि वहां भी यही स्थिति थी — “सेवा की जगह, वक्फ बोर्डों की प्राथमिकता मुकदमेबाजी बन गई थी।”

उन्होंने कहा, “वक्फ संपत्ति का अर्थ है कि मालिक ने उसे अल्लाह के नाम कर दिया है। ऐसे में उसका सही उपयोग एक धार्मिक और नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है। लेकिन आज वक्फ की भावना को ही कुचला जा रहा है।”

 

 

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