पशुपति पारस ने छोड़ा NDA का साथ, चिराग को समर्थन से नाराज़
दलित वोट बैंक में मंथन, लालू से बढ़ती नज़दीकियों ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी

पटना। लंबे समय से राजनीतिक उपेक्षा झेल रहे राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी (RLJP) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने आखिरकार भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए से नाता तोड़ने की घोषणा कर दी। डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के मौके पर पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बड़ा ऐलान किया।

पारस ने कहा, “मैं 2014 से एनडीए के साथ रहा, लेकिन अब हमारा पार्टी गठबंधन से अलग हो रही है। एनडीए में अब हमारी कोई भूमिका नहीं है।” उन्होंने अपने भाई और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक स्वर्गीय रामविलास पासवान को “दूसरा आंबेडकर” बताते हुए उन्हें भारत रत्न देने की मांग भी की।

गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में एनडीए ने पारस के भतीजे चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को पांच सीटें दी थीं, जबकि पारस को दरकिनार कर दिया गया था। चिराग ने उन सभी सीटों पर जीत दर्ज की, जिसमें हाजीपुर भी शामिल है – जिसे कभी खुद पारस ने 2019 में जीता था।

पारस लंबे समय से भाजपा नेताओं के संपर्क में रहकर अपनी भूमिका बचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उपचुनावों में उनकी दावेदारी को अनदेखा किया गया। उन्होंने जिन उम्मीदवारों को खड़ा किया, उनमें से एक भाजपा में शामिल होकर टिकट पा गया। यहां तक कि उनकी पार्टी के दफ्तर वाला सरकारी बंगला भी उन्हें खाली करवा लिया गया और चिराग को सौंप दिया गया।

पारस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी हमला बोलते हुए कहा, “नीतीश जी ने 20 साल में बिहार की शिक्षा व्यवस्था चौपट कर दी, उद्योग नहीं आए और योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं। बिहार अब बदलाव चाहता है। मैं 38 में से 22 जिलों का दौरा कर चुका हूं, जल्द ही बाकी जिलों का दौरा कर पार्टी को 243 विधानसभा क्षेत्रों में मजबूत करूंगा।”

हालांकि, उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव से नजदीकियों पर कुछ भी साफ नहीं कहा। लेकिन हाल के दिनों में उनकी लालू से मुलाकातों ने सियासी हलकों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।

इस राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए एनडीए के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, “उनकी नाराज़गी कोई नई बात नहीं है। उन्होंने तो पहले ही लालू जी से मेल-मिलाप शुरू कर दिया था। इसका एनडीए पर कोई असर नहीं पड़ेगा।”

 

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