सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ शिल्पकार को नमन : सत्यजीत रे की जयंती पर विशेष
– संवाददाता विशेष, TWM न्यूज़
पटना। सिनेमा की आत्मा को शब्द, चित्र, संगीत और संवेदना से सजाने वाले भारत के महानतम फिल्मकार सत्यजीत रे की जयंती पर पूरे देश में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। आज जब सिनेमा तकनीक और तड़क-भड़क की ओर भाग रहा है, ऐसे समय में रे की सादगी, दृष्टि और संवेदनशीलता को याद करना न केवल ज़रूरी है, बल्कि आत्मा को फिर से सजग करने जैसा भी है।
सत्यजीत रे सिर्फ एक फिल्म निर्देशक नहीं थे, वे बंगाल के अंतिम नवजागरण पुरुषों में से एक थे। उनका रचनात्मक संसार इतना विस्तृत था कि उन्हें केवल ‘फिल्मकार’ कह देना उनके योगदान को सीमित कर देना होगा। उन्होंने न केवल विश्व-सिनेमा को भारतीय दृष्टिकोण से समृद्ध किया, बल्कि एक लेखक, संगीतकार, पटकथाकार, ग्राफिक डिज़ाइनर, संपादक, कलाकार और विचारक के रूप में भी नई पहचान गढ़ी।
रे द्वारा रचित फेलूदा और प्रोफेसर शोंकु जैसे पात्र न केवल बच्चों के लिए, बल्कि हर आयु वर्ग के पाठकों के लिए प्रेरणास्रोत बने। रहस्य, विज्ञान-कथा, हॉरर, हास्य और कल्पना की दुनिया को उन्होंने इतनी सहजता से बुना कि आज भी उनके उपन्यास और कहानियां ‘अप्रत्याशित रूप से रोचक’ मानी जाती हैं।
उनकी फिल्मों में प्रयुक्त संगीत और गीतों ने यह सिद्ध किया कि एक साधारण सी धुन या पंक्ति भी भावनाओं को गहराई से स्पर्श कर सकती है। सत्यजीत रे ने दिखाया कि कला का असली सौंदर्य उसके विचार, उसकी दृष्टि और उसकी सादगी में छिपा होता है।
रे के साक्षात्कार और वक्तव्य आज भी विद्यार्थियों, कलाकारों और सिनेप्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। वह सिर्फ रचनाकार नहीं थे, बल्कि समाज को देखने, समझने और बदलने की दृष्टि देने वाले एक ‘मार्गदर्शक’ भी थे।
आज की पीढ़ी के लिए सत्यजीत रे सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक संस्था हैं — जिनकी कला, जिनका दर्शन और जिनकी रचनात्मकता हमेशा जीवित रहेगी।
(TWM न्यूज़ की ओर से सत्यजीत रे को शत-शत नमन।)