महा कुंभ हादसे पर राहुल गांधी का BJP पर तीखा वार: “गिनती से बाहर कर दिए गए ग़रीबों के शव”
✍🏻 TWM News रिपोर्ट | नई दिल्ली
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में महा कुंभ के दौरान हुई भगदड़ में मौतों को लेकर भाजपा सरकार पर गम्भीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार ने मौत के आंकड़ों को “छिपाया” और बीबीसी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि “जैसे कोविड काल में, वैसे ही कुंभ में भी गरीबों के शवों को आंकड़ों से हटा दिया गया।”
राहुल गांधी ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में लिखा—
“BBC की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि कुंभ मेले में भगदड़ से हुई मौतों के आँकड़े छिपाए गए। जैसे कोविड में गरीबों की लाशें आँकड़ों से मिटा दी गई थीं, वैसे ही यहां भी हुआ। हर बड़ी रेल दुर्घटना के बाद की तरह, यहाँ भी सच्चाई दबा दी गई। यही है BJP मॉडल—गिनती में गरीब नहीं, तो जवाबदेही भी नहीं!”
क्या कहती है BBC की रिपोर्ट?
बीबीसी की हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मौनी अमावस्या के दिन महा कुंभ में मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन प्रशासन की ओर से मौतों की गिनती या उनका खुलासा नहीं किया गया। यह घटना इस वर्ष की शुरुआत में हुई थी और इसे लेकर सरकार की चुप्पी पर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा है।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने हादसे के बाद मृतकों के परिजनों को ₹25 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। इसके साथ ही एक न्यायिक जांच समिति का गठन भी किया गया है, जो भगदड़ की परिस्थितियों और प्रशासनिक लापरवाही की जांच करेगी।
केंद्र सरकार का रुख
मार्च महीने में लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि “ऐसे किसी हादसे का डाटा केंद्र स्तर पर संधारित नहीं किया जाता।” उन्होंने स्पष्ट किया कि “लोक व्यवस्था” और “पुलिस” संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य का विषय है। धार्मिक आयोजनों का संचालन, भीड़ प्रबंधन, श्रद्धालुओं की सुविधा और किसी भी आपदा की रोकथाम राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
विपक्ष का आरोप: सच्चाई को दफ़नाने की परंपरा
राहुल गांधी का यह बयान न केवल कुंभ हादसे, बल्कि हाल के वर्षों में हुई अन्य आपदाओं पर भी भाजपा सरकार की पारदर्शिता को कठघरे में खड़ा करता है। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र और भाजपा शासित राज्य सरकारें जानबूझकर मौतों और हादसों से जुड़ी जानकारी को दबा देती हैं ताकि जवाबदेही से बचा जा सके