नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से देश को संबोधित करते हुए इतिहास रच दिया। उन्होंने 98 मिनट का भाषण देकर भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया सबसे लंबा स्वतंत्रता दिवस भाषण दिया।
इस वर्ष का भाषण न केवल अपनी अवधि के लिए बल्कि भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह की महत्वपूर्णता और इसके संदर्भ के लिए भी खास रहा।
मोदी के भाषणों की लंबाई ने हमेशा उनके पूर्ववर्तियों को पीछे छोड़ दिया है। उनके भाषणों की औसत अवधि लगभग 82 मिनट रही है, जिससे वह भारतीय इतिहास में स्वतंत्रता दिवस पर सबसे लंबे भाषण देने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं।
इससे पहले, उनका सबसे लंबा भाषण 2016 में था, जो 96 मिनट का था। वहीं, उनका सबसे छोटा भाषण 2017 में था, जो लगभग 56 मिनट का था।
इस वर्ष के भाषण ने मोदी को तीसरी बार सबसे लंबे स्वतंत्रता दिवस भाषण देने वाले प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित किया है।
2014 में अपने पहले भाषण में उन्होंने 65 मिनट तक देश को संबोधित किया था, जिसे उन्होंने 2015 में 88 मिनट तक बढ़ाया। 2018 में मोदी ने 83 मिनट का भाषण दिया, जबकि 2019 में उन्होंने लगभग 92 मिनट का अपना दूसरा सबसे लंबा भाषण दिया।
अगले वर्षों में उनके भाषण 2020 में 90 मिनट, 2021 में 88 मिनट और 2022 में लगभग 74 मिनट के रहे। पिछले वर्ष उनका भाषण फिर से 90 मिनट का था।
मोदी के भाषण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पूर्व प्रधानमंत्रियों के भाषणों से एक बड़ा अंतर दर्शाती है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में सबसे लंबा 72 मिनट का भाषण दिया था, जबकि 1997 में आई.के. गुजराल ने 71 मिनट का भाषण दिया।
दिलचस्प बात यह है कि नेहरू और इंदिरा गांधी दोनों ने सबसे छोटे भाषण दिए थे, जो 1954 और 1966 में सिर्फ 14 मिनट के थे।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी ने भी छोटे भाषणों की परंपरा को बनाए रखा। सिंह के 2012 और 2013 के भाषण क्रमशः 32 और 35 मिनट के थे, जबकि वाजपेयी के 2002 और 2003 के भाषण क्रमशः 25 और 30 मिनट के थे।