अबूझमाड़ मुठभेड़ में ढेर हुआ नक्सली सरगना बसवराज, 200 से अधिक हमलों का मास्टरमाइंड था
चार दशकों से फैला आतंक का अंत, सुरक्षा बलों की ऐतिहासिक सफलता

रायपुर/नारायणपुर। 
छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जंगलों में बुधवार को हुए बड़े मुठभेड़ अभियान में सुरक्षा बलों ने देश की नक्सल विरोधी लड़ाई में एक ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है। सुरक्षा बलों के हाथ उस समय बड़ी सफलता लगी जब वामपंथी उग्रवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) के महासचिव और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के कमांडर-इन-चीफ नामबाला केशव राव उर्फ बसवराज को ढेर कर दिया गया।

40 वर्षों से फैला था आतंक का जाल
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक पी. सुंदरराज ने पुष्टि करते हुए बताया कि बसवराज पिछले 40-45 वर्षों से नक्सली गतिविधियों में सक्रिय था और 200 से अधिक नक्सली हमलों का मुख्य साजिशकर्ता रहा है। “उसकी मौत नक्सल नेटवर्क की कमर तोड़ने जैसा है। यह माओवादी संगठन के शीर्ष नेतृत्व को लगा बड़ा झटका है,” उन्होंने कहा।

टेक्नोक्रेट से आतंकवादी बना बसवराज
बसवराज आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले का निवासी था और इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर चुका था। लेकिन उसने आधुनिक शिक्षा के बावजूद हिंसा का रास्ता चुना और माओवादी संगठन में शामिल होकर वर्षों तक देश के कई हिस्सों में सुरक्षा बलों, जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों पर हमले करवाए।

27 नक्सलियों के शव बरामद, हथियारों का जखीरा जब्त
अबूझमाड़ के घने जंगलों में सुरक्षा बलों ने जिस रणनीतिक तरीके से ऑपरेशन को अंजाम दिया, उसमें बसवराज सहित कुल 27 नक्सली मारे गए। मुठभेड़ स्थल से एके-47, एसएलआर, इंसास कार्बाइन जैसे अत्याधुनिक हथियार और भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किए गए हैं। इस ऑपरेशन में जिला रिजर्व गार्ड (DRG) का एक जवान शहीद हो गया, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं।

प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “इस ऐतिहासिक सफलता पर हमारे वीर सुरक्षा बलों पर गर्व है। सरकार देश को माओवाद के आतंक से मुक्त कराने के लिए प्रतिबद्ध है।” वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे पिछले तीन दशकों में पहली बार किसी महासचिव स्तर के नक्सली नेता की समाप्ति बताया। उन्होंने कहा, “बसवराज नक्सल आंदोलन की रीढ़ था। ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के बाद अब तक 54 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं और 84 ने आत्मसमर्पण किया है।”

नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक मोड़
यह मुठभेड़ नक्सली आंदोलन के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हो सकती है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि बसवराज की मौत के बाद संगठन की कमान कमजोर हुई है और अब बस्तर क्षेत्र में शांति बहाली की दिशा में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा।

 

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