स्थानीय प्रतिभा की चमक से सजी ‘स्टॉकर’ की स्क्रीनिंग: पूर्व IPS शिवदीप लांडे और शिक्षाविदों ने की सराहना
कॉम्प्लेक्स सिनेमा हॉल में तीन फिल्मों की एक साथ प्रस्तुति, दर्शकों ने कहा— ऐसी फिल्मों से जागती है चेतना
पटना। राजधानी पटना के राजा बाजार स्थित कॉम्प्लेक्स सिनेमा हॉल में रविवार की शाम फिल्मप्रेमियों के लिए यादगार बन गई, जब उड़ताबिहारी प्रोडक्शन और लोकेश रंजन के संयुक्त तत्वावधान में तीन संजीदा फिल्मों की एक साथ स्क्रीनिंग की गई। इस आयोजन में बिहार के पूर्व चर्चित आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने पहुंचे पटना के दो प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों से मास कम्युनिकेशन विभाग की प्रमुख शिक्षाविदाएँ— डॉ. मनीषा प्रकाश (AKU) और प्रो. प्रिया मनीष (St. Xavier’s College of Management and Technology) ने युवाओं के प्रयासों को सराहा और स्थानीय सिनेमा को सामाजिक संवाद का माध्यम बताया।
भावनाओं और मनोविज्ञान की परतें उधेड़ती दो लघु फिल्में
स्क्रीनिंग की शुरुआत निर्देशक लोकेश रंजन की दो लघु फिल्मों— ‘चेकमेट’ और ‘यादें’ से हुई।
‘चेकमेट’, एक साइकोलॉजिकल ड्रामा है, जिसमें आकांक्षा श्रीवास्तव और आर. नरेंद्र ने अभिनय किया है। शतरंज के खेल के माध्यम से रिश्तों की पेचीदगियों और साजिशों को उजागर करती यह फिल्म दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है।
दूसरी फिल्म ‘यादें’ एक भावनात्मक प्रेमकथा है, जिसमें शिवादित्य कुमार और आंचल प्रिया ने अपने अभिनय से गहरी संवेदनाएँ उभारीं। इसमें सात साल की प्रतीक्षा, प्रेम और पीड़ा की एक मार्मिक यात्रा दिखाई गई है। छायांकन अजीत कुमार और प्रिंस पार्थ का रहा, जबकि सह भूमिकाओं में राहुल शर्मा और सजल भगत दिखे।
‘स्टॉकर’— एक साहसिक विषय पर समाज से सीधा संवाद
तीसरी और मुख्य फिल्म ‘स्टॉकर’, निर्देशक अमन कुमार की प्रस्तुति रही, जो आज के समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ती स्टॉकिंग की समस्या को गहराई से उजागर करती है। फिल्म में प्रतीक्षा सिंह, शिवम पांडे, आशुतोष, यश और अंशु जैसे कलाकारों ने विषय की गंभीरता को सजीव कर दिया।
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी रिशु राज, प्रवीन गिरी और सूरज कुमार ने की, संगीत प्रथम ने दिया। एडिटिंग मनीष ओझा और शिवम धवन ने संभाली। मेकअप Srija Makeover का रहा। सह-निर्देशक आशीष सोनी और प्रोडक्शन हेड आकर्ष प्रसून ने तकनीकी पक्ष को मजबूत बनाया। निर्माता के रूप में शिवांशु सिंह और निहाल दत्ता का नाम सामने आया।
“स्टॉकर जैसी फिल्में केवल मनोरंजन नहीं, सामाजिक चेतना हैं” — शिवदीप लांडे
फिल्म के बाद दर्शकों को संबोधित करते हुए पूर्व IPS शिवदीप लांडे ने कहा, “यह फिल्म मनोरंजन से आगे बढ़कर समाज को आईना दिखाती है। ऐसे प्रयास युवाओं को जिम्मेदारी का एहसास कराते हैं और सिनेमा को जनचेतना का माध्यम बनाते हैं।”
शिक्षाविदों ने की युवाओं की पहल की सराहना
AKU की डॉ. मनीषा प्रकाश ने कहा, “हमारे विद्यार्थी जब इस तरह की संवेदनशील फिल्मों में जुड़ते हैं, तो यह उनके व्यक्तित्व विकास के साथ समाज से जुड़ने का अवसर बन जाता है।”
वहीं St. Xavier’s की प्रो. प्रिया मनीष ने कहा, “स्थानीय सिनेमा को आगे बढ़ाने में ऐसे मंचों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। युवाओं को प्रोत्साहन देना और उन्हें दिशा देना शिक्षकों की जिम्मेदारी है, और आज उसे यहाँ फलीभूत होते देखा।”
स्थानीय सिनेमा की ओर एक सार्थक कदम
कार्यक्रम में करीब सौ से अधिक दर्शकों की उपस्थिति रही। आयोजन के समापन पर उड़ताबिहारी प्रोडक्शन की ओर से बताया गया कि आगे भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे, ताकि बिहार के युवाओं को एक व्यापक सिनेमाई मंच मिल सके।
इस विशेष संध्या ने यह संदेश दिया कि सीमित संसाधनों में भी गहरी बातें कही जा सकती हैं, बशर्ते कलाकारों का इरादा स्पष्ट और विषयवस्तु सार्थक हो।