बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव का समर्थन किया है। हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा इस प्रस्ताव को उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के साथ मंजूरी दी गई है, जिसे पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित किया गया था।

इस समिति ने देशभर में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को एक साथ कराने की सिफारिश की है। मायावती ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए यह स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य राष्ट्रीय और जनहित से जुड़ा होना चाहिए।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘X’ पर अपने पोस्ट के माध्यम से मायावती ने कहा कि बसपा इस विचार का सकारात्मक रूप से समर्थन करती है, बशर्ते इसका क्रियान्वयन जनता के कल्याण को ध्यान में रखकर किया जाए।

समिति की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बार-बार चुनाव कराने से देश में अस्थिरता, नीतिगत अनिश्चितता और आर्थिक बोझ बढ़ता है। इसके विपरीत, एक साथ चुनाव होने से नीति स्थिरता, शासन में सुधार और मतदाताओं की थकान को कम करने में मदद मिलेगी।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि एक साथ चुनाव कराने से सरकार को आर्थिक लाभ मिलेगा, क्योंकि इससे चुनावी खर्चों में कटौती की जा सकेगी। लगातार होने वाले चुनावों के कारण संसाधनों, सुरक्षा बलों और अन्य व्यवस्थाओं का बार-बार इस्तेमाल होता है, जिससे वित्तीय भार बढ़ता है।

हालांकि, इस प्रस्ताव पर राजनीतिक दलों के बीच मतभेद भी देखने को मिल रहे हैं। जहां मायावती और बसपा इस पर सकारात्मक रुख दिखा रहे हैं, वहीं कुछ अन्य दल, जैसे कांग्रेस, इसके व्यावहारिक पहलुओं पर सवाल उठा रहे हैं। उनका मानना है कि इससे संघीय ढांचे और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व पर असर पड़ सकता है।

‘एक देश, एक चुनाव’ का यह प्रस्ताव देश की चुनावी व्यवस्था में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है, और इसके क्रियान्वयन की संभावनाएं राजनीतिक सहमति पर निर्भर करेंगी।

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