दलित-आदिवासियों के लिए बजट में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने वाला कानून चाहिए: राहुल गांधी
कर्नाटक और तेलंगाना के मॉडल की वकालत, केंद्र सरकार पर उपेक्षा का आरोप
नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को दलित और आदिवासी समुदायों के लिए केंद्र सरकार से एक ठोस कानून बनाने की मांग की, जिससे इन वर्गों के लिए बनी योजनाओं में बजट का सुनिश्चित हिस्सा तय किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह केवल सामाजिक न्याय की बात नहीं, बल्कि सत्ता में भागीदारी और शासन में आवाज देने की जरूरत है।
राहुल गांधी ने हाल ही में दलित और आदिवासी समाज से जुड़े शोधकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एक्टिविस्टों से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि इन समुदायों की ओर से यह मांग सामने आई कि एक राष्ट्रीय कानून बने, जो इन वर्गों के लिए केंद्र के बजट में निश्चित हिस्सेदारी की गारंटी दे।
राहुल ने बताया कि कर्नाटक और तेलंगाना में ऐसा कानून पहले से लागू है और वहां इन समुदायों को वास्तविक लाभ मिल रहे हैं। “यूपीए सरकार के समय दलित और आदिवासी सब-प्लान की शुरुआत हुई थी, लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद इन योजनाओं को कमजोर किया गया है। वर्तमान में बहुत ही कम बजट इन वर्गों तक पहुँच पा रहा है,” उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट में लिखा।
राहुल गांधी ने जोर दिया कि यह समय है जब देश को यह सोचना चाहिए कि दलितों और आदिवासियों को सत्ता की संरचनाओं में कैसे समान भागीदारी दी जाए और उनकी आवाज को नीति-निर्माण में स्थान मिले।
उन्होंने कहा, “हमारी ज़रूरत है एक ऐसा राष्ट्रीय कानून, जो दलितों और आदिवासियों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए योजनाओं में उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित करे।”
सत्ता की भागीदारी और नीति निर्माण में आवाज देने की उठी मांग
राहुल गांधी ने कहा कि ये समुदाय लंबे समय से अधिकार और प्रतिनिधित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। अब समय है कि उनके लिए सिर्फ नीतियाँ न बनाई जाएँ, बल्कि उनके लिए बजटीय आवंटन को भी कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाए।