दानापुर में कवि सम्मेलन का जलवा, 
काव्य पाठ में ‘पत्थर के लोग’ और ‘मैं सारे यार मिटा दूंगा’ ने बांधा समां

दानापुर कैंट स्थित भगवती देवी सभागार में कविवर पुरुषार्थी कला मंच के 40वें वार्षिकोत्सव और युगपुरुष रामबाबू सिंह पुरुषार्थी की 24वीं पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय पाटलिपुत्र काव्य महोत्सव का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम में देशभर से आए 151 नवोदित कवियों ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर कवि जय सिंह राठौर को रामबाबू सिंह पुरुषार्थी साहित्य सम्मान से नवाजा गया।

 

राठौर की कविताओं ने छेड़ा संवेदनाओं का तार
सम्मान प्राप्ति के बाद जय सिंह राठौर ने अपनी दो प्रभावशाली कविताएँ प्रस्तुत कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उनकी पहली कविता ‘पत्थर के लोग’ में समाज में पनप रहे ढोंग, स्वार्थ और मानवीय संवेदनहीनता को उजागर किया गया। कविता की पंक्तियाँ—
“राम नाम का जाप करे और रोज लगाए भोग,
अटल अनोखा सत्य है जग का मालिक अपरंपार,
देखो कैसा जग रे भैया, खून छपे अखबार।”

ने व्यवस्था पर करारा प्रहार किया और श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया।

वहीं, दूसरी कविता ‘मैं सारे यार मिटा दूंगा’ में विश्वासघात और टूटते रिश्तों की पीड़ा को प्रभावशाली अंदाज में व्यक्त किया गया। कवि ने कहा—
“जिससे जिससे सीख मिली, मैं हंसकर उन्हें भुला दूंगा,
मित्र शत्रु जब बन जाए, और बनके सामने तन जाए,
तो संचय सिद्ध प्रलय होगा, और खुद मनोबल भी क्षय होगा।”

इन पंक्तियों ने मंच पर गहरा असर छोड़ा और दर्शकों को झकझोर दिया।

सम्मान और आयोजन की भव्यता
कार्यक्रम में जय सिंह राठौर को अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस भव्य काव्य महोत्सव में वरिष्ठ कवि कैप्टन कुमार निरंजन, डॉ. दिलीप कुमार, डॉ. सीमा कुमारी और कवि रूपक कुमार सहित कई साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

कला मंच ने संभाला संचालन
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल कुमार ने किया। उन्होंने अतिथियों और उपस्थित कवियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान दानापुर काव्य के रंग में डूबा रहा और साहित्यप्रेमियों ने देर रात तक कविताओं का आनंद उठाया।

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