दरभंगा कुशेश्वरस्थान पथ पर ‘दरभंगा केसरी’ बसों के संचालन पर उठे सवाल, परमिशन रद्द करने की मांग तेज
अवैध संचालन, अनियंत्रित ड्राइविंग और प्रशासनिक लापरवाही पर जनप्रतिनिधियों का फूटा गुस्सा
दरभंगा, 6 जून।
दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान पथ पर संचालित निजी बस सेवा ‘दरभंगा केसरी’ को लेकर स्थानीय समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों ने गंभीर सवाल उठाए हैं। समाजसेवी सुशील कुमार, त्रिभुवन कुमार, आरटीआई एक्टिविस्ट विनोद कुमार और एनएसयूआई जिला अध्यक्ष दिलखुश कुमार ने जिला प्रशासन से मांग की है कि दरभंगा केसरी द्वारा संचालित सभी बसों की परमिशन तत्काल प्रभाव से रद्द की जाए।
प्रेस विज्ञप्ति जारी कर समाजसेवी सुशील कुमार ने बताया कि “दरभंगा केसरी” के नाम से दर्जनों बसें चल रही हैं, जबकि वैध रूप से केवल एक परमिशन प्राप्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि बस संचालक प्रवीण कुमार सिंह एक ही परमिशन के आधार पर कई बसें अवैध रूप से चला रहे हैं। इसके साथ ही, इन बसों के ड्राइवर और खलासी मनमानी तरीके से बसों का संचालन कर रहे हैं, जिससे आम जनता की जान खतरे में पड़ रही है।
वहीं, समाजसेवी त्रिभुवन कुमार ने बताया कि उन्हें लगातार आम जनता से शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद उन्होंने निजी स्तर पर इन बसों की निगरानी की। “जांच में पाया गया कि अधिकतर बसें न तो ट्रैफिक नियमों का पालन कर रही हैं और न ही इनका संचालन नियंत्रण में है। जब हमने संचालक से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने कोई सहयोग नहीं किया,” उन्होंने कहा।
इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी जिला परिवहन पदाधिकारी को दी जा चुकी है, और अब जनप्रतिनिधि दरभंगा के प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी और परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो आम नागरिकों द्वारा ‘दरभंगा केसरी’ की बसों का बहिष्कार किया जाएगा और कई स्थानों पर इन्हें रोका जाएगा। “यदि इसके बाद भी हादसे होते हैं, तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह प्रशासन और परिवहन विभाग की होगी,” उन्होंने कहा।
एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष दिलखुश कुमार ने भी सख्त लहजे में कहा, “कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र में किसी भी प्रकार की मनमानी नहीं चलेगी। अगर बस संचालक और ड्राइवर अपनी कार्यशैली नहीं बदलते हैं, तो जन आंदोलन किया जाएगा।”
स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की इस संयुक्त मांग ने दरभंगा जिला प्रशासन के सामने एक चुनौती खड़ी कर दी है। अब देखना यह होगा कि संबंधित विभाग इस पर कितनी तत्परता से कार्रवाई करता है।