रेखा गुप्ता बनीं दिल्ली की नई मुख्यमंत्री, परवेश वर्मा उपमुख्यमंत्री और विजेंद्र गुप्ता विधानसभा अध्यक्ष
नई दिल्ली, 19 फरवरी – भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की कमान नए नेतृत्व को सौंपते हुए रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री नियुक्त किया है। वहीं, चर्चाओं में आगे चल रहे परवेश वर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है, जबकि विजेंद्र गुप्ता को विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा से लौटने के बाद लिया।
रेखा गुप्ता को क्यों चुना गया मुख्यमंत्री?
रेखा गुप्ता लंबे समय से दिल्ली भाजपा संगठन में सक्रिय रही हैं। वर्तमान में वे प्रदेश भाजपा की महासचिव हैं और इससे पहले भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं। 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में उन्होंने शालीमार बाग (उत्तर-पश्चिम) सीट से जीत दर्ज कर अपनी राजनीतिक ताकत साबित की।
छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाली रेखा गुप्ता 1996-97 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की अध्यक्ष रही हैं। बाद में उन्होंने नगर निगम चुनाव लड़ा और 2007 में उत्तरी पीतमपुरा वार्ड से पार्षद चुनी गईं। 2012 में फिर से पार्षद बनने के बाद वे दक्षिण दिल्ली नगर निगम की मेयर भी बनीं। कानून की पढ़ाई करने वाली गुप्ता का प्रशासनिक अनुभव और संगठनात्मक क्षमता उनकी सबसे बड़ी ताकत मानी जा रही है।
परवेश वर्मा और विजेंद्र गुप्ता को मिली अहम जिम्मेदारी
शुरुआती चर्चाओं में नई दिल्ली से विधायक परवेश वर्मा को मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदारों में गिना जा रहा था। लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने संतुलित रणनीति अपनाते हुए उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता विजेंद्र गुप्ता को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है।
दिल्ली में पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का संदेश
भाजपा ने दिल्ली की राजनीति में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देते हुए रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर नया संदेश दिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा चाहती थी कि दिल्ली में एक ऐसा चेहरा सामने आए जो जनता से सीधा जुड़ाव रखता हो और संगठन में भी मजबूत पकड़ बनाए रखे।
कैबिनेट गठन पर भी जल्द फैसला
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नई सरकार के गठन के साथ छह कैबिनेट मंत्रियों की भी घोषणा जल्द की जाएगी। हालांकि, अन्य भाजपा शासित राज्यों की तरह दिल्ली में दो उपमुख्यमंत्री नहीं होंगे। केंद्रीय पर्यवेक्षक ओम प्रकाश धनखड़ और रविशंकर प्रसाद सरकार गठन की प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं।
भाजपा के इस फैसले से दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, क्योंकि अब नई सरकार को आम आदमी पार्टी के प्रभाव के बीच अपनी नीतियों को मजबूती से लागू करने की चुनौती होगी।