बिहार में IAS संजीव हांस के खिलाफ ED का शिकंजा कसा
पटना में 7 ठिकानों पर छापेमारी, कई सरकारी अधिकारियों पर रिश्वतखोरी का आरोप
पटना। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बिहार में IAS अधिकारी संजीव हांस के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 11.64 करोड़ रुपये नकद बरामद किए हैं। गुरुवार को पटना में सात ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई, जिसमें कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के घर और दफ्तर खंगाले गए।
ED के मुताबिक, यह छापेमारी बिहार में सरकारी टेंडर और बिल पास कराने के बदले रिश्वत लेने के मामले से जुड़ी थी। जिन अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी हुई, उनमें बिहार निर्माण विभाग (BCD) के मुख्य अभियंता तरिणी दास, बिहार वित्त विभाग के संयुक्त सचिव मुमुक्षु चौधरी और शहरी विकास एवं आवास विभाग (UDHD) के कार्यपालक अभियंता उमेश कुमार सिंह शामिल हैं।
इसके अलावा बिहार शहरी अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (BUIDCO) के उप परियोजना निदेशक अयाज अहमद, बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (BMSICL) के परियोजना उप महाप्रबंधक सागर जायसवाल और विकास झा, तथा BCD के ही कार्यपालक अभियंता साकेत कुमार के परिसरों पर भी छापे मारे गए।
कॉन्ट्रैक्टर्स और बिल पास कराने में घोटाले का आरोप
ED ने दावा किया कि ये अधिकारी ठेकेदारों से रिश्वत लेकर टेंडर दिलवाने और फर्जी बिल पास कराने में शामिल थे। जांच में पटना स्थित ठेकेदार फर्म ‘ऋषु श्री’ के नाम का भी खुलासा हुआ है, जो कथित रूप से अवैध वित्तीय लेन-देन में शामिल रही है।
डिजिटल सबूत और दस्तावेज मिले
छापेमारी के दौरान ED को 11.64 करोड़ रुपये की नकदी के अलावा कई संपत्ति संबंधित दस्तावेज, रिश्वत वितरण से जुड़े कागजात और डिजिटल रिकॉर्ड मिले हैं। अधिकारियों ने बताया कि जब्त किए गए दस्तावेजों की जांच की जा रही है, जिससे वित्तीय अनियमितताओं की परतें और खुल सकती हैं।
IAS संजीव हांस पर क्या हैं आरोप?
1997 बैच के IAS अधिकारी संजीव हांस पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार कर अकूत संपत्ति अर्जित की। वे बिहार सरकार में ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव रह चुके हैं। बिहार पुलिस की विशेष सतर्कता इकाई (SVU) द्वारा दर्ज की गई FIR के आधार पर ED ने उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी।
जानकारी के अनुसार, हांस के खिलाफ आरोप सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि 2018 से 2023 के बीच केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए भी उनके भ्रष्टाचार में लिप्त होने के सबूत मिले हैं।
अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
हालांकि, इस मामले में अब तक किसी आरोपी अधिकारी या उनके वकील ने सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। ED की टीम जब्त दस्तावेजों और डिजिटल डेटा की गहन जांच कर रही है, जिससे भविष्य में और भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।