कुंचाको बोबन की दमदार अदाकारी, लेकिन ‘ऑफिसर ऑन ड्यूटी’ का रोमांच आधे रास्ते में फीका पड़ता है
नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई मलयालम क्राइम थ्रिलर दर्शकों को बांधने में सफल तो होती है, लेकिन अंत तक प्रभावित नहीं कर पाती
नेटफ्लिक्स पर हाल ही में रिलीज़ हुई मलयालम फिल्म ‘ऑफिसर ऑन ड्यूटी’ ने शुरुआत में जबरदस्त रोमांच पैदा किया, लेकिन दूसरे हाफ में फिल्म अपनी पकड़ खो देती है। फिल्म में कुंचाको बोबन मुख्य भूमिका में हैं, जो एक जुझारू पुलिस अधिकारी के रूप में दमदार प्रदर्शन करते हैं। हालांकि, फिल्म की कमजोर पटकथा और पारंपरिक विलेन इसे औसत श्रेणी में ला खड़ा करती है।
कहानी:
फिल्म की कहानी सर्कल इंस्पेक्टर हरी (कुंचाको बोबन) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक सख्त मिज़ाज पुलिस अधिकारी हैं। वह एक चेन स्नैचिंग मामले की जांच करते हुए बड़े अपराध syndicate का भंडाफोड़ करते हैं। इस दौरान हरी का अतीत भी सामने आता है, जिसमें उनका निजी दर्द और संघर्ष छिपा है। व्यक्तिगत त्रासदी और कर्तव्य के बीच फंसा यह किरदार भावनात्मक गहराई को दर्शाता है।
अभिनय:
फिल्म में कुंचाको बोबन का अभिनय फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है। उनके किरदार की संजीदगी और गुस्से को उन्होंने बखूबी निभाया है। हालांकि, प्रियामणि जैसी अनुभवी अभिनेत्री को स्क्रीन पर पर्याप्त समय नहीं मिला, जिससे उनका किरदार प्रभाव छोड़ने में असफल रहता है। मुख्य विलेन क्रिस्टी (विशाक नायर) को भी एक रूढ़िवादी तरीके से पेश किया गया है, जिससे उनका किरदार साधारण लगता है।
तकनीकी पक्ष:
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और एक्शन सीक्वेंस काबिले-तारीफ हैं। पहले हाफ में थ्रिल और इमोशन का संतुलन है, लेकिन दूसरा भाग घिसे-पिटे एक्शन और पूर्वानुमानित घटनाओं से भरा हुआ है।
खास बातें:
- कुंचाको बोबन का प्रभावशाली अभिनय।
- भावनात्मक गहराई के साथ पुलिस थ्रिलर का मिश्रण।
- एक्शन दृश्य शानदार तरीके से फिल्माए गए हैं।
कमजोरियां:
- क्लिशे खलनायक और साधारण प्लॉट।
- सहायक कलाकारों को पर्याप्त स्थान नहीं मिला।
- दूसरे हाफ में कहानी कमजोर हो जाती है।
देखें या नहीं?
अगर आप एक भावनात्मक स्पर्श के साथ क्राइम थ्रिलर देखना पसंद करते हैं, तो ‘ऑफिसर ऑन ड्यूटी’ एक बार देखी जा सकती है। हालांकि, फिल्म में नई बात नहीं है, इसलिए ज्यादा उम्मीदें ना रखें।
रेटिंग: ⭐⭐⭐ (3/5)
रिपोर्ट: अनिरुद्ध नारायण