G7 सम्मेलन में भारत को न्योता नहीं, कांग्रेस बोली—विदेश नीति में फिर चूकी मोदी सरकार
जयराम रमेश ने कहा—‘विश्वगुरु’ अब मंच से गायब, ये एक और बड़ा कूटनीतिक झटका
कनाडा में इस महीने होने जा रहे G7 शिखर सम्मेलन में भारत को आमंत्रित नहीं किया गया है। इसे लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी ने इसे विदेश नीति की एक और गंभीर विफलता बताया है और साथ ही अमेरिका को भारत-पाक संबंधों में मध्यस्थता की इजाजत देने को “नीति की बड़ी चूक” कहा है।
कनाडा के अल्बर्टा प्रांत में 15 से 17 जून के बीच G7 सम्मेलन आयोजित होने वाला है, जिसमें अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, इटली, कनाडा और जर्मनी के प्रमुख नेता हिस्सा लेंगे। इसके अलावा ब्राज़ील, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया को विशेष आमंत्रण दिया गया है, लेकिन भारत का नाम सूची से नदारद है।
‘विश्वगुरु’ नहीं होंगे शामिल: कांग्रेस
कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “मोदी जी को इस बार आमंत्रण नहीं मिला। चाहे सरकार इसे कैसे भी घुमा ले, लेकिन सच्चाई यह है कि यह हमारी विदेश नीति की एक और बड़ी असफलता है।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “जो अपने को ‘विश्वगुरु’ कहते हैं, वह इस बार विश्व मंच से गायब रहेंगे।”
रमेश ने आगे कहा कि 2014 से पहले भारत को G8 और फिर G7 सम्मेलनों में नियमित रूप से बुलाया जाता था। “मनमोहन सिंह जी को G8 सम्मेलनों में आमंत्रण मिलता था और उनका मत भी सुना जाता था। 2007 में जर्मनी में हुए सम्मेलन में ही सिंह-मर्केल क्लाइमेट फॉर्मूला पेश किया गया था, जो वैश्विक जलवायु वार्ता की दिशा में अहम कदम था।”
भारत-कनाडा संबंधों में आई तल्खी
जानकारों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बार G7 में शामिल न होने की एक प्रमुख वजह भारत-कनाडा के बिगड़े रिश्ते हैं। यह तनाव उस समय चरम पर पहुंच गया था जब 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के कथित संलिप्तता का दावा किया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में भारी गिरावट आई।
विदेश मंत्रालय की चुप्पी
अब तक विदेश मंत्रालय की ओर से इस मसले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी किसी भी स्थिति में इस बार शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने वाले थे, क्योंकि मौजूदा रिश्तों के बीच ऐसी यात्रा के लिए खास तैयारी की जरूरत पड़ती। लेकिन इस बार औपचारिक निमंत्रण न मिलना, अपने आप में एक संकेत है।
कांग्रेस का तीखा प्रहार
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने अमेरिका को भारत-पाकिस्तान के संबंधों में मध्यस्थता की छूट देकर दशकों पुरानी गुटनिरपेक्ष नीति को कमजोर किया है। “भारत ने कभी किसी तीसरे पक्ष को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने नहीं दिया। लेकिन अब अमेरिका खुलेआम दावा करता है कि उसने भारत-पाक संघर्षविराम में भूमिका निभाई,” रमेश ने लिखा।