नगर परिषद की अनदेखी से जनता में नाराजगी, स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य अधूरा

जमालपुर

छठ महापर्व के दौरान श्रद्धालुओं को पूजा में शामिल होने के लिए हर सुविधा की उम्मीद होती है, लेकिन जमालपुर के छठ घाटों पर चलंत शौचालय की कमी ने इस बार श्रद्धालुओं को परेशानियों में डाल दिया। काली पहाड़ी के पास स्थित घाटों पर इस बार नगर परिषद जमालपुर द्वारा साफ-सफाई और सजावट का काम तो किया गया, परंतु शौचालय की बुनियादी व्यवस्था को नजरअंदाज कर दिया गया, जिससे श्रद्धालुओं को खुले में शौच करने की नौबत आ गई।

छठ महापर्व जैसे बड़े पर्व पर साफ-सफाई और सौंदर्यकरण के लिए स्थानीय निकायों को विशेष बजट मिलता है, पर इस बार नगर परिषद जमालपुर की अनदेखी की शिकायतें सामने आई हैं। स्वच्छता अभियान के तहत राज्य सरकार ने नगर विकास विभाग को निर्देश दिए थे कि घाटों पर आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं, लेकिन यहां पर हजारों श्रद्धालुओं के बीच शौचालय का अभाव देखने को मिला।

महिला श्रद्धालुओं की परेशानी

अनेकों महिला श्रद्धालु घाटों पर शिविरों में आकर शौचालय की पूछताछ करती रहीं। परिषद की ओर से एक भी चलंत शौचालय न लगाए जाने से उन्हें खुले में शौच करना पड़ा। महिला श्रद्धालुओं ने इसे बड़ी असुविधा और शर्मिंदगी का कारण बताया।

वार्ड पार्षद का प्रशासन पर निशाना

वार्ड पार्षद साईं शंकर ने प्रशासनिक लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा, “नगर प्रशासन की उदासीनता के चलते शहर में उपलब्ध चलंत शौचालयों को फरीदपुर और काली पहाड़ के इलाकों में डंप किया गया है। लाखों की लागत से बनाए गए ये शौचालय अब रखरखाव के अभाव में खराब हालत में हैं, और आम जनता को बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब ऐसी व्यवस्थाएं धरातल पर दिखें। नगर परिषद ने वर्ष 2023-24 में सार्वजनिक और चलंत शौचालयों के निर्माण के लिए 2 करोड़ रुपये और आगामी वर्ष में 2.4 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया है, लेकिन शहर के कई मुख्य स्थानों पर अब तक यह सुविधा नहीं मिली।

साईं शंकर ने प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जनता की बुनियादी आवश्यकताओं को नजरअंदाज करना स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्यों को विफल कर रहा है।

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