पटना
बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक नई लहर के रूप में जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने जनता के समक्ष “राइट टू रिकॉल” का प्रस्ताव रखा है। पहली बार लोकतंत्र में इस तरह का साहसी कदम उठाते हुए प्रशांत किशोर ने वादा किया है कि बिहार के युवाओं को अब शिक्षा और रोजगार के लिए दूसरे राज्यों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा। उनका मानना है कि गांवों में उच्च-स्तरीय शिक्षा और रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि पलायन पर रोक लगाई जा सके।
जन सुराज पार्टी की इस पहल के तहत, बिहार के सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था की जाएगी, जिससे ग्रामीण बच्चे भी उच्च शिक्षा के अवसर प्राप्त कर सकें। इसके साथ ही गांव-गांव में छोटी फैक्ट्रियों की स्थापना कर, बेरोजगारों को स्थानीय रोजगार का अवसर प्रदान किया जाएगा। प्रशांत किशोर ने जोर देते हुए कहा, “बिहार के हर गांव में रोजगार की ऐसी व्यवस्था होगी कि लोगों को 10-15 हजार की नौकरी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।”
दीपावली और छठ पर पलायन का मुद्दा बना चुनावी चर्चा का केंद्र
बिहार में आगामी विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर दीपावली और छठ पर प्रवासी बिहारी अपने घर लौट रहे हैं। इस बार 13 नवंबर को बेलागंज, इमामगंज, रामगढ़ और तरारी में उपचुनाव होने जा रहे हैं, जो बिहार के विकास में निर्णायक साबित हो सकते हैं। बाहर रहने वाले बिहारी अपने परिवारों में जन सुराज पार्टी और प्रशांत किशोर के विचारों पर चर्चा करेंगे, जिससे ग्रामीण जनता में जागरूकता फैलेगी।
औरंगाबाद से जन सुराज प्रत्याशी का बयान
औरंगाबाद विधानसभा सीट से जन सुराज पार्टी के भावी प्रत्याशी रमेश सिंह ने TWM न्यूज़ से बातचीत में कहा कि प्रशांत किशोर की इस पहल से अब मजदूर केवल मजदूर बनकर नहीं बल्कि मालिक बनकर जिएगा। उनका कहना है कि इस चुनाव में जनता का सहयोग ही बिहार के परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करेगा।
बिहार परिवर्तन की इस मुहिम में जन सुराज पार्टी ने शिक्षा, रोजगार और राइट टू रिकॉल जैसे अधिकारों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है। पार्टी का दावा है कि अगर बिहार में उनकी सरकार बनी, तो राज्य में रोजगार के साधनों का ऐसा जाल बिछाया जाएगा जिससे पलायन की समस्या खत्म हो जाएगी।