स्टारलिंक ब्रॉडबैंड को लेकर जियो और एयरटेल में मुकाबला तेज
स्पेसएक्स के साथ दोनों कंपनियों ने मिलाया हाथ, भारत में हाई-स्पीड इंटरनेट क्रांति की तैयारी

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं को लेकर दो प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों—रिलायंस जियो और भारती एयरटेल—के बीच सीधी प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। स्पेसएक्स की स्टारलिंक ब्रॉडबैंड सेवा को भारत में लाने के लिए एयरटेल के साथ साझेदारी की घोषणा के एक दिन बाद ही जियो ने भी इसी प्रकार का समझौता कर लिया है।

ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों पर विशेष फोकस
रिलायंस जियो ने बुधवार को जारी अपने आधिकारिक बयान में कहा कि कंपनी स्टारलिंक ब्रॉडबैंड को अपनी रिटेल दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से उपलब्ध कराएगी। यह सेवा खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी होगी, जहां पारंपरिक इंटरनेट सेवाओं की पहुंच सीमित है।

जियो ने यह भी स्पष्ट किया कि इस समझौते के तहत कंपनी न केवल स्टारलिंक उपकरणों की बिक्री करेगी, बल्कि उनके इंस्टॉलेशन और एक्टिवेशन में भी सहायता प्रदान करेगी, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा अनुभव मिल सके।

स्पेक्ट्रम आवंटन पर रही है दोनों कंपनियों में असहमति
गौरतलब है कि भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर जियो और एयरटेल के बीच मतभेद रहे हैं। जियो स्पेक्ट्रम की नीलामी की मांग कर रही थी, जबकि एयरटेल और स्पेसएक्स प्रशासनिक आवंटन प्रणाली के पक्ष में थे। सरकार ने अंततः वैश्विक मानकों को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक आवंटन का रास्ता चुना, जिससे स्पेसएक्स और एयरटेल को लाभ मिला।

एयरटेल की रणनीति और लक्ष्य
भारती एयरटेल ने मंगलवार को स्टारलिंक के साथ अपने गठजोड़ की घोषणा की थी। एयरटेल ने कहा कि वह इस सेवा को अपने खुदरा स्टोर्स के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाएगी और व्यवसायों, स्कूलों, ग्रामीण समुदायों तथा स्वास्थ्य सुविधाओं को जोड़ने के लिए इसका उपयोग करेगी।

एयरटेल के प्रबंध निदेशक और उपाध्यक्ष गोपाल विट्ठल ने इस समझौते को दूरसंचार क्षेत्र में एक नया अध्याय बताया और कहा कि इससे डिजिटल कनेक्टिविटी का नया युग शुरू होगा।

भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की दौड़ शुरू
स्पेसएक्स के स्टारलिंक ब्रॉडबैंड को लेकर देश की दो दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-सी कंपनी पहले सरकारी स्वीकृति हासिल कर अपनी सेवाओं को शुरू करने में सफल होती है। भारत के दूरस्थ और ग्रामीण इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा की यह दौड़ आने वाले समय में डिजिटल क्रांति का नया आयाम स्थापित कर सकती है।

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