माँ ब्लड सेंटर में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

पटना। रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाने और छात्रों को समाज सेवा के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ज़ेवियर एलुमनी एसोसिएशन और उम्मीद सोशल वर्क प्रोग्राम ने माँ ब्लड सेंटर में एक शैक्षिक दौरे का आयोजन किया। इस दौरे में 25 छात्रों ने भाग लिया और इसे अपने जीवन का एक प्रेरणादायक अनुभव बताया।

रक्तदान प्रक्रिया का व्यावहारिक ज्ञान

कार्यक्रम के दौरान छात्रों को रक्तदान प्रक्रिया के हर चरण की जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि स्वस्थ व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की उम्र तक रक्तदान कर सकते हैं और साल में तीन बार रक्तदान करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। साथ ही, रक्त के घटकों जैसे लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा के महत्व को समझाया गया।

ब्लड मैन ऑफ बिहार’ से प्रेरणा

कार्यक्रम की मुख्य आकर्षण रही प्रसिद्ध समाजसेवी मुकेश हिसारिया से मुलाकात। उन्हें ‘ब्लड मैन ऑफ बिहार’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने छात्रों को रक्तदान के सामाजिक और मानवीय पहलुओं पर प्रेरक बातें साझा कीं। मुकेश ने बताया कि नियमित रक्तदान न केवल जरूरतमंदों की मदद करता है, बल्कि यह दानकर्ता के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।

महत्वपूर्ण जानकारियां

छात्रों ने रक्तदान से जुड़े कई अहम तथ्य सीखे। उन्होंने जाना कि O+ रक्त समूह आपातकालीन परिस्थितियों में सबसे महत्वपूर्ण होता है। साथ ही, यह भी समझा कि रक्त को उपयोग में लाने से पहले मलेरिया, एचआईवी और अन्य संक्रमणों की जांच की जाती है।

सहभागिता और अनुभव

कार्यक्रम सुबह 11:30 बजे शुरू हुआ और दोपहर 2:00 बजे समाप्त हुआ। इस दौरान छात्रों ने न केवल ब्लड बैंक के कार्यों को गहराई से समझा, बल्कि सक्रिय रूप से सवाल पूछकर अपने ज्ञान को बढ़ाया।

ज़ेवियर एलुमनी एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री रंजन कुमार ने कहा, “इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों को समाजसेवा और जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते हैं।” उन्होंने आगे बताया कि निकट भविष्य में बाल मेला, डिसएबिलिटी रन और अन्य सामाजिक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।

उम्मीद के प्रतिनिधि जय सिंह राठौर ने कहा, “यह दौरा छात्रों के लिए एक ऐसा अनुभव था जो उन्हें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने और सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देगा।”

 

इस दौरे ने छात्रों को न केवल रक्तदान की प्रक्रिया और महत्व से परिचित कराया, बल्कि समाज सेवा के प्रति एक नई दृष्टि भी दी। आयोजनकर्ताओं का मानना है कि इस प्रकार की गतिविधियां समाज में जागरूकता और सेवा भावना को बढ़ावा देती हैं।

 

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