मुंबई
मामी फिल्म फेस्टिवल 2024 में प्रदर्शित अरन्या सहाय की डॉक्यूमेंट्री ‘ह्यूमन्स इन द लूप’ ने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। यह डॉक्यूमेंट्री आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और पारंपरिक मानव ज्ञान के संगम पर आधारित है, जिसमें झारखंड की आदिवासी महिलाएं एआई इमेज जेनरेशन उद्योग के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
डॉक्यूमेंट्री में उन आदिवासी महिलाओं के कार्य को प्रमुखता से दिखाया गया है, जो एआई के लिए इमेज लेबलिंग का काम करती हैं। यह काम एआई को चित्रों को पहचानने और समझने में मदद करता है। इन महिलाओं का अनुभव और पारंपरिक ज्ञान एआई के विकास में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है, क्योंकि एआई सिस्टम को सटीकता के लिए मानवीय निरीक्षण और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
फिल्म के एक महत्वपूर्ण पात्र नेमा, जो एक आदिवासी महिला और माँ हैं, अपने आसपास के वातावरण और प्रकृति की गहरी समझ के जरिए एआई द्वारा उत्पन्न चित्रों की सीमाओं को चुनौती देती हैं। यह डॉक्यूमेंट्री एक गहरे और संवेदनशील दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है, जहां मानव ज्ञान और एआई की बुद्धिमत्ता के बीच तुलना की गई है। आदिवासी महिलाएं, जो सदियों से प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जी रही हैं, अपनी पारंपरिक समझ से एआई के प्रशिक्षण में असाधारण योगदान दे रही हैं।
डॉक्यूमेंट्री इस बात पर जोर देती है कि इन महिलाओं का अनुभव, जो प्राकृतिक परिवेश के साथ सहजीवन पर आधारित है, एआई को और बेहतर बनाने में एक अनिवार्य भूमिका निभाता है। उनके इस ज्ञान से मशीनों में उन छोटी-छोटी बारीकियों और संदर्भों को समझने की क्षमता विकसित हो रही है, जिन्हें केवल आंकड़ों से समझ पाना संभव नहीं है।
अरन्या सहाय द्वारा निर्देशित यह फिल्म एआई और पारंपरिक ज्ञान के इस सामंजस्य को उजागर करती है और बताती है कि कैसे मानव बुद्धिमत्ता की जगह कोई मशीन नहीं ले सकती।