मिज़ोरम बना देश का पहला ‘पूर्ण साक्षर राज्य’
शिक्षा की नई मिसाल पेश की पूर्वोत्तर राज्य ने, मुख्यमंत्री लालढूहोमा ने की ऐलान

आइज़ोल।
मिज़ोरम ने देश में शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय रचते हुए खुद को भारत का पहला ‘पूर्ण साक्षर राज्य’ घोषित कर दिया है। यह ऐतिहासिक घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री लालढूहोमा ने मंगलवार को मिज़ोरम विश्वविद्यालय में आयोजित एक विशेष समारोह के दौरान की। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी भी मौजूद थे, जिन्होंने इस उपलब्धि के लिए मिज़ोरम सरकार और वहां की जनता को बधाई दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक चेतना और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। “अब हमारा अगला लक्ष्य हर मिजो नागरिक को डिजिटल, वित्तीय और उद्यमिता साक्षर बनाना है,” उन्होंने कहा।

‘उल्लास’ और ‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ बने आधार

मिज़ोरम में साक्षरता की यह सफलता केंद्र सरकार की दो प्रमुख योजनाओं – ULLAS (Understanding of Lifelong Learning for All in Society) और नव भारत साक्षरता कार्यक्रम – के तहत संभव हुई। अधिकारियों के अनुसार, 2011 की जनगणना के आधार पर जब राज्य में शेष निरक्षर व्यक्तियों की पहचान की गई, तो आंकड़ा 3,026 तक पहुंचा, जिनमें से 1,692 को प्राथमिक शिक्षार्थी के रूप में चिन्हित किया गया।

इसके बाद 292 स्वयंसेवी शिक्षकों की एक मजबूत टीम गठित की गई, जिसमें छात्र, शिक्षक, क्लस्टर संसाधन समन्वयक और शैक्षिक विशेषज्ञ शामिल थे। इन सभी ने घर-घर जाकर लोगों को अक्षर ज्ञान सिखाने में अहम् भूमिका निभाई।

राजनीतिक एकजुटता और सामाजिक सहयोग की मिसाल

केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, “आज मिज़ोरम को ‘पूर्ण साक्षर राज्य’ घोषित करने का ऐतिहासिक दिन है। यह न केवल वर्तमान सरकार की दूरदर्शिता का परिणाम है, बल्कि पूर्ववर्ती सरकारों के निरंतर प्रयासों का भी सम्मान है।”

उन्होंने राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ. वनलालथलाना की विशेष सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने इस अभियान को जन आंदोलन बनाया और इसे सफल अंजाम तक पहुंचाया।

2011 की जनगणना में तीसरे स्थान पर था मिज़ोरम

2011 की जनगणना के अनुसार, मिज़ोरम की साक्षरता दर 91.33 प्रतिशत थी, जो कि केरल और लक्षद्वीप के बाद तीसरा स्थान था। लेकिन बीते वर्षों में चलाए गए विशेष कार्यक्रमों और स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी ने इस आंकड़े को 100 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से एक बयान में कहा गया, “हम साक्षरता को केवल अक्षरज्ञान तक सीमित नहीं मानते, बल्कि जीवन कौशल, डिजिटल तकनीक और आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ जोड़कर देख रहे हैं।”

पूर्वोत्तर की भूमिका एक बार फिर बनी प्रेरणा

पूर्वोत्तर भारत, जिसे अक्सर विकास से वंचित मान लिया जाता है, मिज़ोरम की इस उपलब्धि से देश के लिए प्रेरणा बनकर उभरा है। यह उपलब्धि दिखाती है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक समर्पण और जनभागीदारी एक साथ मिलते हैं, तो असंभव भी संभव हो सकता है।

(TWM संवाददाता)

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