जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 71वीं पुण्यतिथि समारोह पूर्वक मनाई गई।
मुंगेर: भारतीय जनता पार्टी प्रदेश नेतृत्व एवं जिला नेतृत्व के निर्देशानुसार जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 71वीं पुण्यतिथि समारोह पूर्वक जमालपुर दरियापुर स्तिथ महामंत्री प्रमोद चंद्रवंशी के व्यवसायिक प्रतिष्ठान में नगर अध्यक्ष सह वार्ड पार्षद वीरेंद्र कुमार भुट्टो की अध्यक्षता में मनाई गई।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भाजपा विधान परिषद सदस्य श्री लालमोहन गुप्ता एवं सम्मानित जिला अध्यक्ष डॉ अरूण कुमार पोद्दार एवं विशिष्ट अतिथि भाजपा जिला उपाध्यक्ष नीशुतोष कुमार यादव उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन भाजपा नगर मंत्री कुंदन नाथ ने किया।
समारोह को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का का जन्म 6 जुलाई 1901 को एक संभ्रांत परिवार में हुआ था।महानता के सभी गुण उन्हें विरासत में मिले थे।उनके पिता आशुतोष बाबू अपने जमाने के ख्यात शिक्षाविद् थें।
डॉ मुखर्जी ने 22 वर्ष की आयु में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा इस वर्ष इनका विवाह भी सुधा देवी से हुआ।उनके दो पुत्र एवं दो पुत्रियां हुई।वह 24 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य बने।उनका ध्यान गणित की ओर विशेष था।इसके अध्ययन के लिए वह विदेश गए तथा वहां पर लंदन मैथेमेटिकल सोसायटी ने उनको सदस्य बनाया।
वहां से लौटने के बाद डॉक्टर मुखर्जी ने वकालत तथा विश्वविद्यालय की सेवा में कार्यरत हो गए।डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कर्म क्षेत्र के रूप में 1939 में राजनीति में भाग लिया और आजीवन इसी में लग रहे।
उन्होंने गांधी जी एवं कांग्रेस की नीति का विरोध किया।एक बार उन्होंने कहा था कि वह दिन दूर नहीं जब गांधी जी की अहिंसा वादी नीति के अंधानुसण के फल स्वरुप समूचा बंगाल पाकिस्तान का अधिकार क्षेत्र बन जाएगा।
उन्होंने नेहरू जी और गांधी जी की तुष्टिकरण की नीति का खुलकर विरोध किया।यही कारण था कि उनको संकुचित सांप्रदायिक विचार का धोतक समझा जाने लगा।डॉ मुखर्जी ने चितरंजन में रेल इंजन कारखाना,विशाखापट्टनम में जहाज बनाने का कारखाना स्थापित करवाया। उनके सहयोग से ही हैदराबाद निजाम को भारत में विलीन होना पड़ा।
1950 में भारत की दशा दयनीय थी,इससे डॉक्टर मुखर्जी को गहरा आघात लगा।उनसे यह देखा नहीं गया और भारत सरकार के अहिंसावादी नीति के फल स्वरुप मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर संसद में विरोधी पक्ष की भूमिका का निर्वाह करने लगे।एक ही देश में दो झंडा दो निशान भी उनको स्वीकार नहीं था।अतः कश्मीर का भारत में विलय को लेकर डॉक्टर मुखर्जी ने प्रयत्न प्रारंभ कर दिया।
इसके लिए उन्होंने जम्मू की प्रजा परिषद पार्टी के साथ मिलकर आंदोलन छेड़ दिया अटल बिहारी वाजपेयी तत्कालीन विदेश मंत्री,वेद गुरुदत्त,डॉक्टर बर्मन ,और टेकचंद, आदि को लेकर 8 मई 1953 को जम्मू के लिए कूच किया।
सीमा प्रदेश के बाद उनको जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।40 दिन तक डॉक्टर मुखर्जी जेल में बंद रहे और 23 जून 1953 को जेल में ही उनकी रहस्यमय ढंग से मृत्यु हो गई।
आज भी उनकी मृत्यु एक रहस्य ही बना हुआ है।इसलिए भारतीय जनता पार्टी जमालपुर नगर मंडल पूर्वी की ओर से भारत सरकार से या मांग की जाती है कि उनकी रहस्य में मृत्यु पर से पर्दा उठाया जाए और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाए।
कार्यक्रम में आंगतुक अतिथि एवं पदाधिकारी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन नगर महामंत्री प्रमोद चंद्रवंशी ने किया।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से महामंत्री उत्तम सिन्हा,मिलन तांती,सुरेश मंडल,तारणी तांती,मदन साह,कुंदन नाथ,राहुल खेतान,रवि मोदी,राजीव पासवान,रवि कुमार,सत्यम तांती,अनिल तांती सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।