‘नरेंद्र सरेंडर’ पर राहुल गांधी का तंज, भाजपा का पलटवार—ट्रंप की मध्यस्थता पर फिर मचा सियासी घमासान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राहुल गांधी के ‘नरेंद्र सरेंडर’ वाले तंज ने सियासी गलियारों में गर्मी ला दी है। मध्यप्रदेश के भोपाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर अमेरिका के दबाव में पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि मई में पाकिस्तान के खिलाफ चली ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फोन कॉल पर प्रधानमंत्री ने झुकाव दिखाया।
राहुल ने कहा, “डोनाल्ड ट्रंप का फोन आया और नरेंद्र जी ने तुरंत सरेंडर कर दिया… इतिहास इसका गवाह है। यह है भाजपा और आरएसएस का असली चरित्र।” उन्होंने कटाक्ष करते हुए जोड़ा, “ट्रंप ने कहा ‘नरेंद्र, सरेंडर’ और हमारे प्रधानमंत्री ने कहा ‘यस सर’।”
1971 की लड़ाई से तुलना
राहुल गांधी ने भाजपा पर हमला करते हुए 1971 की भारत-पाक युद्ध का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “तब अमेरिका की धमकी के बावजूद कांग्रेस की सरकार ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांट दिया और बांग्लादेश का निर्माण हुआ। कांग्रेस के शेर और शेरनियाँ कभी किसी महाशक्ति के आगे नहीं झुकते। जबकि भाजपा और आरएसएस का इतिहास है—जरा सा दबाव दीजिए, डर के मारे भाग खड़े होते हैं।”
भाजपा का तीखा पलटवार
भाजपा ने राहुल गांधी के बयान को ‘देशविरोधी’ करार देते हुए उन्हें पाकिस्तान की ISI का एजेंट तक कह दिया। भाजपा प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कहा, “राहुल गांधी न सिर्फ देश को गुमराह कर रहे हैं, बल्कि उनका बयान यह दिखाता है कि उनकी वफादारी किसके प्रति है। वह पाकिस्तान की जुबान बोल रहे हैं।”
तुहिन ने यह भी कहा कि राहुल गांधी का बयान सैनिकों के पराक्रम का अपमान है, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाइयों को मुंहतोड़ जवाब दिया।
ट्रंप की दखल पर फिर विवाद
बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि मई में भारत और पाकिस्तान के बीच जब तनाव अपने चरम पर था, तब उन्होंने ही दोनों देशों के बीच संघर्षविराम करवाया था। हालांकि भारत सरकार ने साफ किया है कि कोई भी विदेशी मध्यस्थता नहीं हुई और पाकिस्तान ने खुद ही लड़ाई बंद करने की पहल की थी।