विशेष बहस की मांग खारिज
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर राष्ट्रीय गान का अपमान करने का आरोप, विपक्ष ने उठाए सवाल

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राष्ट्रीय गान के दौरान कथित रूप से असंवेदनशील व्यवहार का मामला एक बार फिर विधान परिषद में गूंजा। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह ने सोमवार को इस मुद्दे पर विशेष बहस की मांग की। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मामला है, जिस पर कम से कम दो घंटे की चर्चा होनी चाहिए।

हालांकि, परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सिंह की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने राजद एमएलसी को फटकार लगाते हुए कहा, “जब बिहार प्रगति की ओर बढ़ रहा है, तब आप राज्य की छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं।”

इस पर सिंह ने पलटवार करते हुए कहा, “लेकिन सर, बिहार की छवि मैंने नहीं, बल्कि किसी और ने धूमिल की है। मैं तो सिर्फ इस मुद्दे पर बहस की मांग कर रहा हूं।” हालांकि, उनकी दलीलें सभापति का फैसला नहीं बदल सकीं।

पिछले साल सदन से निष्कासित हुए थे सिंह
गौरतलब है कि सुनील कुमार सिंह को पिछले वर्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ कथित दुर्व्यवहार के आरोप में सदन से निष्कासित कर दिया गया था। हालांकि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें फिर से बहाल किया गया है।

क्या है मामला?
गत सप्ताह एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय गान बजते समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हंसते और दर्शकों की ओर हाथ हिलाते हुए फुटेज सामने आया था। इस घटना के बाद विपक्ष ने मुख्यमंत्री पर राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान करने का आरोप लगाया।

राजद, कांग्रेस और भाकपा (माले) सहित विपक्षी दलों ने इस घटना को मुख्यमंत्री की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाने का जरिया बना लिया है। उनका आरोप है कि नीतीश कुमार अब शासन करने की स्थिति में नहीं हैं और उनका यह रवैया राज्य के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति के लिए अनुचित है।

विपक्ष का हमला, जदयू का बचाव
विपक्षी नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री का यह व्यवहार गंभीर लापरवाही का संकेत है, जो राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति असम्मान को दर्शाता है। वहीं, सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने इस आरोप को खारिज करते हुए इसे विपक्ष की साजिश बताया। पार्टी नेताओं का कहना है कि वीडियो को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है और नीतीश कुमार का इरादा अपमान करने का नहीं था।

विधान परिषद में हुई बहस के दौरान विपक्ष ने मुख्यमंत्री की भूमिका पर सवाल उठाए, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताया। हालांकि, विशेष बहस की मांग को खारिज कर दिया गया, जिससे विपक्ष ने नाराजगी जताई।

शिवांशु सिंह सत्या

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