दो की मौत, कई घायल
काठमांडू में हिंसा के बाद सेना तैनात, कर्फ्यू लागू

काठमांडू। नेपाल की राजधानी काठमांडू में शुक्रवार को राजशाही की बहाली और देश को पुनः हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे समर्थकों की सुरक्षा बलों के साथ हिंसक झड़प हो गई। इस दौरान दो लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सेना को तैनात किया गया और प्रभावित क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया।

घटना काठमांडू के टिंकुने इलाके में हुई, जहां प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की। सुरक्षाबलों ने भीड़ को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और रबर की गोलियां चलाईं। जवाब में प्रदर्शनकारियों ने इमारतों और वाहनों में आग लगा दी।

फोटो पत्रकार की जलकर मौत
हिंसा के दौरान एक फोटो पत्रकार सुरेश रायक की जलकर मौत हो गई। बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा एक इमारत में आग लगाए जाने के बाद सुरेश उसमें फंस गए। आग इतनी भीषण थी कि उनका शव पूरी तरह जल गया। हालांकि, आधिकारिक पहचान की पुष्टि अब तक नहीं हुई है।

प्रधानमंत्री ने बुलाई आपात बैठक, सेना तैनात
स्थिति बिगड़ते देख प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आपात बैठक बुलाई और काठमांडू में सेना तैनात करने का निर्णय लिया। टिंकुने, सिनामंगल और कोटेश्वर इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राजधानी में दंगा विरोधी पुलिस बल को तैनात किया गया है, ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।

राजशाही की बहाली को लेकर बढ़ती मांग
शुक्रवार को हजारों राजशाही समर्थक काठमांडू की सड़कों पर उतरे। उन्होंने पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के पोस्टर और नेपाल का राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए “राजा आऊ, देश बचाऊ” और “हमें राजशाही वापस चाहिए” जैसे नारे लगाए।

प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की, जिसके बाद पुलिस ने भी बल प्रयोग किया। भीड़ ने एक शॉपिंग मॉल, एक राजनीतिक पार्टी कार्यालय, एक मीडिया हाउस और एक व्यावसायिक परिसर में आग लगा दी। इस दौरान कम से कम 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए।

राजशाही की वापसी की मांग तेज
नेपाल ने 2008 में 240 साल पुरानी राजशाही को खत्म कर लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया था। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में भ्रष्टाचार, आर्थिक अस्थिरता और बार-बार सरकार बदलने से जनता में असंतोष बढ़ा है। पिछले 16 वर्षों में नेपाल में 13 बार सरकार बदली है, जिससे विकास अवरुद्ध हुआ है।

हाल ही में पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने 19 फरवरी को लोकतंत्र दिवस पर देश को संबोधित करते हुए राजशाही की बहाली का समर्थन करने की अपील की थी। इसके बाद से राजशाही समर्थकों का आंदोलन तेज हो गया है।

कुछ प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें भी लहराईं, जिससे प्रदर्शन में हिंदू राष्ट्रवाद की झलक भी दिखी।

राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है। संगठन ने दावा किया कि हाल ही में ज्ञानेन्द्र शाह के समर्थन में हुए एक रैली में चार लाख लोग शामिल हुए, हालांकि स्वतंत्र समाचार एजेंसियों के अनुसार यह संख्या करीब 10,000 थी।

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