नई दिल्ली
केंद्र सरकार की कृषि नीतियों के खिलाफ किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन एक बार फिर नई ऊर्जा के साथ शुरू हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने अपने 300वें दिन के प्रदर्शन को चिह्नित करते हुए ‘दिल्ली चलो’ मार्च का फिर से आह्वान किया है।

इस बार आंदोलन का मुख्य केंद्र न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा देना और किसानों के कर्जों को माफ करना है। तमिलनाडु के किसान नेता अय्याकन्नू ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की समिति द्वारा एमएसपी और कर्ज माफी को लेकर दिए गए सुझावों पर अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। नवंबर 2024 में पेश इस रिपोर्ट में मुफ्त बिजली और कृषि उत्पाद बेचने के लिए विशेष दुकानों की सिफारिश भी की गई थी।

शंभु बॉर्डर पर पुलिस की सख्ती का आरोप
किसान प्रतिनिधि सरवन सिंह पंधेर ने पुलिस की सख्ती पर सवाल उठाते हुए कहा कि शंभु बॉर्डर पर बैरिकेड्स और सड़कों पर कीलें लगाई गई हैं। उन्होंने इसे किसानों के खिलाफ “निर्दयता” करार देते हुए कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण और कानून के दायरे में रहेगा।

एमएसपी पर संघर्ष जारी
किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएस स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने में विफलता दिखाई है, जिसमें उत्पादन लागत से 50% अधिक कीमत देने की सिफारिश की गई थी। अय्याकन्नू ने बताया कि गन्ने की कीमत आज भी 310 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि अन्य पेशों की आय में कई गुना वृद्धि हुई है।

तमिलनाडु के किसान करेंगे प्रदर्शन
तमिलनाडु के किसान 16 दिसंबर को रेलवे स्टेशनों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। साथ ही दिल्ली पहुंचकर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन तेज करेंगे। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो आंदोलन और व्यापक होगा।

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