पुलिस ने किया बल प्रयोग

पटना। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर रविवार को पटना में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। गांधी मैदान से शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन ने जेपी गोलंबर और मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करने का प्रयास किया, जिसके बाद पुलिस ने पानी की बौछार और हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया।

जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन के पूर्व चेतावनी के बावजूद गांधी मैदान में प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, “यह प्रदर्शन अवैध घोषित किया गया था। इस मामले में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर, पार्टी अध्यक्ष मनोज भारती, ट्यूटर रामांशु मिश्रा सहित 21 नामजद और 600-700 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।”

प्रशांत किशोर ने सरकार पर साधा निशाना

प्रदर्शन के दौरान प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला करते हुए कहा, “मुख्यमंत्री दिल्ली निजी यात्रा पर जा सकते हैं लेकिन अपने राज्य के युवाओं की समस्याओं को सुनने का समय नहीं है।” किशोर ने छात्रों को रिले उपवास शुरू करने की सलाह दी और कहा, “यह लड़ाई लंबी चलेगी लेकिन युवाओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।”

सड़क पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा, कई गिरफ्तार

जेपी गोलंबर के पास प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर दी, जिससे यातायात बाधित हुआ। पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की लेकिन जब प्रदर्शनकारी अड़े रहे तो पानी की बौछार का सहारा लिया गया। कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया, जिनमें दो प्रमुख ट्यूटर रामांशु मिश्रा और रोहन आनंद शामिल थे। पुलिस ने उन्हें छात्रों को उकसाने का आरोप लगाया है।

परीक्षा में धांधली का आरोप

प्रदर्शनकारी 70वीं बीपीएससी संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रश्न पत्र लीक का आरोप सभी केंद्रों पर है, जबकि सरकार ने सिर्फ एक केंद्र में पुनः परीक्षा कराने का फैसला किया है, जो अनुचित है।

सरकार का पक्ष

डीएम चंद्रशेखर सिंह ने बताया, “सरकार युवाओं की चिंताओं को लेकर संवेदनशील है। मुख्य सचिव प्रदर्शनकारियों के एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मिलने को तैयार हैं। हालांकि, प्रदर्शनकारियों में उचित नेतृत्व का अभाव है और वे अपने प्रतिनिधि तय नहीं कर पा रहे हैं।”

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि सरकार हमारे साथ ऐसा बर्ताव करेगी। यह हमारी हक की लड़ाई है, जिसे राजनीतिक रंग देना गलत है।”

 

 

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