जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को बयान दिया कि भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने के लिए मुस्लिम समुदाय का भरोसा हासिल करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि ऐसे कानून, जो किसी विशेष समुदाय पर सीधा प्रभाव डालते हैं, को लागू करने से पहले व्यापक समर्थन प्राप्त करना आवश्यक है।
किशोर ने UCC पर चल रही बहस का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य शादी, तलाक, संपत्ति और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों पर एक समान कानून बनाना है। हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि लगभग 20% मुस्लिम आबादी वाले देश में UCC का क्रियान्वयन बिना उनकी सहमति के संभव नहीं है।
उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के समय हुए विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे कानूनों में प्रभावित समुदायों की राय को शामिल न करने से गंभीर विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
किशोर ने सरकार के कृषि कानूनों का उदाहरण देते हुए बताया कि किसानों से संवाद न होने के कारण भारी विरोध के बीच इन कानूनों को वापस लेना पड़ा। यह घटना दर्शाती है कि यदि सीधे प्रभावित समुदायों से संवाद नहीं किया गया तो नीतियों का सफल क्रियान्वयन कठिन हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में UCC की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसे धर्म आधारित भेदभाव खत्म करने का एक कदम बताया। उन्होंने पूरे देश में इसके लिए चर्चा की आवश्यकता पर जोर दिया और नागरिकों से इस विषय पर अपने विचार साझा करने का आग्रह किया।
UCC विधेयक के समर्थकों का मानना है कि यह कानून सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करेगा, जबकि इसके विरोधियों का तर्क है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रभाव डाल सकता है। आगामी 2024 के आम चुनावों में UCC का मुद्दा भाजपा के प्रमुख एजेंडे में शामिल है।