राम नवमी पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में विज्ञान और आस्था का अद्भुत संगम
सूर्य की किरणों से भगवान श्रीराम को ‘सूर्य तिलक’
अयोध्या। राम नवमी के पावन अवसर पर अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रविवार को एक अलौकिक दृश्य देखने को मिला, जब दोपहर ठीक बारह बजे सूर्य की किरणें भगवान श्रीराम के बालस्वरूप ‘रामलला’ के मस्तक पर तिलक के रूप में पड़ीं। यह अनूठा ‘सूर्य तिलक’ आयोजन विज्ञान और भक्ति का अनुपम उदाहरण बना, जिसे देखने के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे।
यह दृश्य न केवल आध्यात्मिक आस्था से भरपूर था, बल्कि वैज्ञानिक दक्षता का भी प्रतीक बना। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA), बेंगलुरु और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI), रुड़की के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई विशेष प्रणाली के माध्यम से यह आयोजन सफल हुआ। इस प्रणाली में विशेष प्रकार के दर्पणों और लेंसों की सहायता से सूर्य की किरणों को इस तरह निर्देशित किया गया कि वे हर वर्ष राम नवमी पर दोपहर ठीक 12 बजे श्रीरामलला के ललाट पर ‘सूर्य तिलक’ करें।
मंदिर परिसर में जैसे ही भगवान श्रीराम के मस्तक पर सूर्य की किरणें तिलक के रूप में पड़ीं, वैदिक मंत्रोच्चार और भव्य आरती के साथ समस्त वातावरण भक्तिमय हो गया। श्रद्धालुओं ने भावविभोर होकर इस दुर्लभ क्षण को अपने कैमरों में कैद किया और जय श्रीराम के उद्घोष से अयोध्या गूंज उठी।
प्रशासन की कड़ी निगरानी और व्यापक इंतजाम
रामनवमी के इस विशेष आयोजन को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। अयोध्या के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजकरण नैयर ने बताया, “श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए क्षेत्र को विभिन्न जोन में विभाजित किया गया है और ड्रोन की सहायता से निगरानी रखी जा रही है।” अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मधुबन सिंह ने कहा कि मंदिर परिसर में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात है और पार्किंग समेत अन्य सुविधाओं की पूरी व्यवस्था की गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देखा ‘सूर्य तिलक’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के नलबाड़ी में जनसभा के बाद इस ऐतिहासिक क्षण को देखा और कहा, “श्रीराम जन्मभूमि पर यह बहुप्रतीक्षित क्षण समस्त देशवासियों के लिए आनंद और आस्था का प्रतीक है।”
वार्षिक परंपरा बनेगा ‘सूर्य तिलक’
मंदिर प्रशासन के अनुसार, अब यह ‘सूर्य तिलक’ प्रत्येक वर्ष राम नवमी पर नियमित परंपरा के रूप में मनाया जाएगा। यह आयोजन न केवल भक्तों के लिए दिव्य अनुभूति है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह प्रमाण होगा कि कैसे विज्ञान और श्रद्धा मिलकर ईश्वर के साक्षात दर्शन का माध्यम बन सकते हैं।
श्रीरामलला के आशीर्वाद से रामनगरी में फिर से जागी आस्था की लौ, और गूंज उठा संपूर्ण धरा पर एक ही नाम – “जय श्रीराम!”
रिपोर्ट: अनिरुद्ध नारायण