सरकार पर पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप, नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग
पटना। बिहार विधानसभा के बाहर मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के विधायकों ने वामपंथी दलों के साथ मिलकर 65% आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी विधायकों ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार जानबूझकर पिछड़े वर्गों के हक को दरकिनार कर रही है।
कास्ट सर्वे के आधार पर आरक्षण बढ़ाने की मांग
आरजेडी विधायकों ने कहा कि महागठबंधन सरकार के दौरान कराए गए जातीय सर्वेक्षण में राज्य की सामाजिक संरचना के अनुसार आरक्षण को 49% से बढ़ाकर 65% करने की सिफारिश की गई थी। इसमें सवर्ण गरीबों के लिए 10% आरक्षण भी शामिल था। हालांकि, एनडीए सरकार इस सिफारिश को अब तक नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं कर सकी है, जिससे यह कानूनी अड़चनों में फंसा हुआ है।
“दोहरे इंजन की सरकार की साजिश”
प्रदर्शन के दौरान महुआ विधायक मुकेश रोशन ने कहा, “महागठबंधन सरकार ने सर्वे कराया, आरक्षण बढ़ाया, लेकिन एनडीए सरकार अब अदालत का बहाना बना रही है। यह दोहरे इंजन की सरकार है, जो जानबूझकर पिछड़ों के हक को रोक रही है। अगर सरकार चाहती, तो इसे नौवीं अनुसूची में डालकर कानूनी सुरक्षा दे सकती थी।”
90% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व नहीं
आरजेडी विधायक फतेह बहादुर ने कहा कि बिहार में दलित, महादलित, पिछड़े, अति पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय मिलकर 90% जनसंख्या का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा, “जातीय सर्वे में स्पष्ट हुआ है कि पिछड़ों की संख्या बहुसंख्यक है, लेकिन आरक्षण में उनकी हिस्सेदारी कम है। सरकार को इसे सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए।”
एनडीए सरकार का बचाव
वहीं, प्रदर्शन को लेकर एनडीए सरकार ने कहा कि वह आरक्षण नीति में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार का दावा है कि इस मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा की जाएगी। हालांकि, सरकार ने आरक्षण को नौवीं अनुसूची में डालने को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया, जिससे विपक्षी दलों का आक्रोश और बढ़ गया।
रिपोर्ट – शिवम पांडेय