सेंट जेवियर्स कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन, विशेषज्ञों ने उभरते रुझानों पर रखे विचार

पटना, 18 जनवरी। व्यापार और वाणिज्य जगत में हो रहे तकनीकी और संरचनात्मक परिवर्तनों पर मंथन करने के उद्देश्य से सेंट जेवियर्स कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, पटना में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। ‘व्यापार और वाणिज्य में उभरते रुझानों का पुनर्मूल्यांकन’ विषय पर केंद्रित इस संगोष्ठी में देश-विदेश के शिक्षाविदों, उद्योग विशेषज्ञों और छात्रों ने भाग लिया।

कॉलेज के प्रधानाचार्य फादर डॉ. मार्टिन पोरस एसजे ने संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में व्यापार जगत तेजी से डिजिटल बदलावों के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नई तकनीकों का प्रभाव व्यापार मॉडल पर व्यापक रूप से पड़ रहा है, जिससे कंपनियों को अपनी रणनीतियों को नए सिरे से गढ़ने की आवश्यकता है।

डिजिटल युग में व्यापार के नए आयाम

संगोष्ठी के संयोजक डॉ. अशोक कुमार ने अपने संबोधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, 3डी प्रिंटिंग, वर्चुअल रियलिटी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी उन्नत तकनीकों के प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये नवाचार पारंपरिक व्यापार मॉडलों को चुनौती दे रहे हैं और कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए नवाचार को अपनाने की जरूरत है।

इस अवसर पर प्रमुख वक्ता और एआई तथा डेटा साइंस कंपनी ‘प्रिडिक्ट’ के सह-संस्थापक श्री कल्याण कर ने व्यापार क्षेत्र में उभरती चुनौतियों और अवसरों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में लागत और बाजार की पहुंच से जुड़ी बाधाएं कम हो रही हैं, जिससे एक आभासी बाजार तेजी से उभर रहा है।

नीतिगत सुधारों पर भी हुई चर्चा

संगोष्ठी में भारत में लागू किए जा रहे प्रमुख कानूनी और आर्थिक सुधारों पर भी विमर्श हुआ। नया श्रम संहिता विधेयक, दिवालियापन अधिनियम, बैंकिंग सुधार और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। चर्चा का मुख्य बिंदु यह रहा कि इन सुधारों से व्यापार जगत को कैसे लाभ मिलेगा और किस प्रकार वे आर्थिक विकास को गति देंगे।

वैश्विक व्यापार पर भी रखे गए विचार

संगोष्ठी में वैश्विक व्यापार पर बढ़ते भू-राजनीतिक प्रभावों की भी समीक्षा की गई। यूएसए और नाटो द्वारा लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों और ब्रिक्स देशों के नेतृत्व में वैकल्पिक वित्तीय प्रणालियों के बढ़ते प्रभुत्व पर विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। वक्ताओं ने कहा कि इन परिवर्तनों से भारतीय व्यापार क्षेत्र को नई चुनौतियों और अवसरों का सामना करना पड़ सकता है।

अंत में संगोष्ठी के सह-संयोजक डॉ. आलोक बरन ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए उद्योग जगत और नीति निर्माताओं से व्यापार के बदलते स्वरूप के अनुरूप रणनीतियां विकसित करने का आह्वान किया। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में छात्रों, शिक्षकों और शोधार्थियों ने भाग लिया।

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