मुंगेर

सरस्वती विद्या मंदिर, मुंगेर में आयोजित प्रांत स्तरीय प्रधानाचार्य सम्मेलन में विद्या भारती उत्तर-पूर्व क्षेत्र के संगठन मंत्री ख्यालीराम ने विद्यालय संचालन के पांच महत्वपूर्ण स्तंभों—छात्र, अध्यापक, भवन, प्रबंधकारिणी समिति, और समाज—पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “इन पांच तत्वों में से एक भी यदि हटा दिया जाए, तो विद्यालय का संचालन बाधित हो सकता है। अतः इन पांचों में सामंजस्य बनाकर ही एक आदर्श शिक्षा प्रणाली स्थापित की जा सकती है।”

ख्यालीराम ने आगे कहा कि विद्या भारती विद्यालयों का विस्तार समाज में शिक्षा की गुणवत्ता और सामाजिक चेतना का केंद्र बनना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, और स्वदेशी जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की और समाज में इन विषयों पर जागरूकता फैलाने का आह्वान किया।

प्रधानाचार्य सम्मेलन में शैक्षिक गुणवत्ता पर जोर

इससे पूर्व, कार्यक्रम का उद्घाटन ख्यालीराम, प्रदेश सचिव प्रदीप कुमार कुशवाहा, और प्रधानाचार्य संजय कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कुशवाहा ने बैठक की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य विद्यालयों की शैक्षिक और सहशैक्षिक गतिविधियों में सुधार कर छात्रों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करना है।

उन्होंने प्रधानाचार्यों से आग्रह किया कि सम्मेलन में चर्चा किए गए बिंदुओं को अपने विद्यालयों में लागू करें। कुशवाहा ने बताया कि सत्र के दौरान तीन बार प्रधानाचार्यों की बैठकें होती हैं, जिनमें नई योजनाओं का निर्माण और उनके क्रियान्वयन की समीक्षा की जाती है।

समापन में प्रधानाचार्यों के लिए दिशा-निर्देश

समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुंज बिहारी ने कहा, “प्रधानाचार्य विद्यालय के सूर्य हैं। उन्हें विद्यालय की गतिविधियों को समाज में प्रसारित करने के लिए मीडिया का सही उपयोग करना चाहिए और अभिभावकों से संपर्क बनाए रखना चाहिए।”

कार्यक्रम का संचालन उमा शंकर पोद्दार ने किया, जबकि अतिथि परिचय प्रधानाचार्य संजय कुमार सिंह द्वारा दिया गया। इस सम्मेलन में दक्षिण बिहार के 150 से अधिक प्रधानाचार्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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