झारखंड में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच शुरू कर दी है। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब केंद्र सरकार ने झारखंड हाई कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में संथाल परगना के जिलों में हो रहे खतरनाक जनसांख्यिकी परिवर्तनों को स्वीकार किया है।
बीजेपी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है, खासकर संथाल परगना और कोल्हान मंडल के उन हिस्सों में, जहां आदिवासी आबादी में तेजी से गिरावट आई है और मुस्लिम आबादी में असामान्य वृद्धि दर्ज की गई है।
सूत्रों के मुताबिक, ED ने रांची के बड़ियातू पुलिस स्टेशन में 6 जून को दर्ज एक पुलिस शिकायत के आधार पर ECIR (पुलिस FIR के समकक्ष) दर्ज की है। इस शिकायत में तीन बांग्लादेशी मूल की लड़कियों को हिरासत में लिए जाने की बात कही गई थी, जो एक संगठित गिरोह के माध्यम से पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत में अवैध रूप से प्रवेश कराई गई थीं।
इस मामले में दर्ज प्राथमिकी (FIR संख्या 188/2024) के अनुसार, इन लड़कियों को बांग्लादेश सीमा से जंगल के रास्ते भारत लाया गया और उनके फर्जी आधार कार्ड भी बनवाए गए। जांच में सामने आया कि यह गिरोह भारत-बांग्लादेश सीमा पर तार काटकर अवैध रूप से लोगों को प्रवेश दिलवाने में संलिप्त था। ED इस पूरे मामले की गहन जांच करेगी, ताकि घुसपैठ से जुड़े संगठनों और उनकी आपराधिक गतिविधियों को उजागर किया जा सके।
झारखंड में विधानसभा चुनाव करीब हैं, ऐसे में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ का मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बन चुका है। बीजेपी इस मामले को लेकर सत्ताधारी झामुमो (JMM) और कांग्रेस पर लगातार हमले कर रही है। बीजेपी का आरोप है कि संथाल परगना के कुछ जिलों जैसे पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा, और दुमका में बड़े पैमाने पर अवैध घुसपैठ हो रही है, जहां मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में जमशेदपुर में अपने संबोधन में घुसपैठ के मुद्दे पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि झारखंड में आदिवासी पहचान और उनकी संपत्तियां घुसपैठियों की वजह से खतरे में हैं और राज्य सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।