कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए सम्मानित
स्टॉकहोम
इस वर्ष का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार स्टॉकहोम की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा जॉन हॉपफील्ड और जेफ्री हिंटन को उनके बुनियादी आविष्कारों और खोजों के लिए दिया गया, जिनसे कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (Artificial Neural Networks – ANNs) का विकास हुआ और आज की शक्तिशाली मशीन लर्निंग तकनीकों की नींव रखी गई।
अकादमी के बयान के अनुसार, “दोनों वैज्ञानिकों ने भौतिकी के सिद्धांतों का उपयोग करके ऐसे तरीकों का निर्माण किया, जिनसे आधुनिक मशीन लर्निंग का आधार मजबूत हुआ।”
जॉन हॉपफील्ड ने ऐसी संरचना तैयार की जो जानकारी को संग्रहीत और पुनर्निर्मित कर सकती है, जबकि जेफ्री हिंटन द्वारा विकसित विधि डेटा में स्वचालित रूप से गुणों की खोज कर सकती है। यह तकनीक आज के बड़े कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है।
कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (ANN) का उपयोग कंप्यूटर को इंसानी मस्तिष्क के न्यूरॉन्स की नकल करते हुए सूचनाओं को संसाधित करने में किया जाता है। यह नेटवर्क विभिन्न कार्यों जैसे भाषाओं का अनुवाद, चित्रों की पहचान और जटिल डेटा का विश्लेषण करने में सक्षम होता है।
मशीन लर्निंग की इस तीव्र प्रगति ने पिछले 15 वर्षों में AI के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। हॉपफील्ड और हिंटन के योगदान ने मशीनों को इंसान की तरह स्मृति और सीखने की क्षमता दी है, जिससे कंप्यूटर अब अस्पष्ट और जटिल समस्याओं को हल कर सकने में सक्षम हैं।
अकादमी ने अपने बयान में कहा, “भौतिकी के बुनियादी सिद्धांतों का उपयोग करके उन्होंने नेटवर्क की संरचनाओं में जानकारी के प्रसंस्करण की तकनीक विकसित की है।”
इससे पहले, पारंपरिक सॉफ्टवेयर स्पष्ट निर्देशों का पालन करके परिणाम उत्पन्न करते थे, लेकिन मशीन लर्निंग में कंप्यूटर उदाहरणों से सीखते हैं, जिससे वे जटिल समस्याओं को हल करने में सक्षम होते हैं।
1940 के दशक में मस्तिष्क की तंत्रिका संरचना की नकल करने का विचार लोकप्रिय हुआ था, जब वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क के न्यूरॉन्स और सिनेप्स के कामकाज को समझने का प्रयास किया था। हॉपफील्ड और हिंटन की खोजों ने इस विचार को वास्तविकता में बदल दिया और अब ये तंत्रिका नेटवर्क मशीन लर्निंग में अभूतपूर्व क्रांति ला रहे हैं।