पटना: राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के सुप्रीमो पशुपति कुमार पारस को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने रालोजपा के पटना स्थित दफ्तर को जबरन खाली कराए जाने पर रोक लगा दी है। जस्टिस मोहित कुमार शाह की एकल पीठ ने पार्टी की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फिलहाल दफ्तर खाली कराने की कार्रवाई न करने का आदेश दिया है।

दफ्तर खाली करने पर रोक, 15 दिन की मोहलत

रालोजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अंबिका प्रसाद द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया था कि पार्टी के 1, व्हीलर रोड स्थित कार्यालय का आवंटन भवन निर्माण विभाग ने अचानक रद्द कर दिया है। इस पर अदालत ने कहा कि पार्टी को 15 दिनों का समय दिया जाता है ताकि वह आवश्यक कागजात और आवेदन प्रस्तुत कर सके।

आवास आवंटन का मुद्दा

याचिकाकर्ता के वकील वाईवी गिरी ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह आवास 2005 में दो वर्ष के लिए आवंटित किया गया था, और तब से इसका नवीनीकरण चलता आ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आवंटन विभाग ने हाल में कोई पूर्व नोटिस दिए बिना आवंटन रद्द कर दिया।

महाधिवक्ता ने दी दलीलें

वहीं, राज्य के महाधिवक्ता पीके शाही ने तर्क दिया कि यह आवास लोक जनशक्ति पार्टी को आवंटित था, न कि रालोजपा को। उन्होंने कहा कि रालोजपा को इस मुद्दे पर अर्जी दायर करने का अधिकार नहीं है। इसके बावजूद, कोर्ट ने आवास रद्द करने के आदेश पर रोक लगाते हुए, दो सप्ताह में कानून के तहत आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है।

आगे की सुनवाई का इंतजार

इस अंतरिम राहत के बाद पार्टी को 15 दिनों की मोहलत मिल गई है, जिसमें उन्हें आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

 

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